जापान के हायाबुसा यान ने रयुगु एस्टेरॉयड पर कराया ब्लास्ट, जीवन की उत्पत्ति के रहस्य से उठेगा पर्दा
हायाबुसा 2 यान की मदद से सौरमंडल के विकास से जुड़े रहस्य सुलझने की आस है। विस्फोट के चलते बने क्रेटर के अध्ययन पर सबकी निगाहें टिकीं हैं। अगले साल जापानी मिशन धरती पर लौट आएगा।
टोक्यो, एएफपी। पृथ्वी के समीप मौजूद एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) ‘रयुगु’ की जांच के लिए भेजे गए हायाबुसा 2 यान की मदद से वहां की सतह पर विस्फोट कराया गया है। यह उपलब्धि हासिल करने के बाद जापान की स्पेस एजेंसी (जेएएक्सए) ने कहा कि विस्फोट से बने गड्ढे की जांच में सौर मंडल के विकास से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। जेएएक्सए ने 2014 में इस मिशन को लांच किया था। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के रहस्यों का पता लगाने के लिए भेजा गया यह मिशन रयुगु से नमूने इकट्ठा कर 2020 में लौट आएगा।
हायाबुसा 2 के कैमरे से ली गई तस्वीरों से पता चलता है कि विस्फोटक डिवाइस सही जगह पर स्थापित की गई थी, लेकिन विस्फोट हो जाने का कोई सुबूत अभी नहीं मिला है। हालांकि, जापानी स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों ने इसका भरोसा जताया है। उन्होंने यह भी कहा कि विस्फोट कराना काफी जोखिम भरा था, लेकिन इसमें पूरी तरह कामयाबी मिली। यह इसलिए कराया गया है ताकि कुछ ऐसे तत्व रयुगु की सतह से बाहर निकलें जिनके अध्ययन से सौर मंडल के विकास के शुरुआती चरणों का पता चल सके। ऐसा अनुमान है कि 4.6 अरब वर्ष पहले इस एस्टेरॉयड पर जैविक पदार्थ व पानी बहुतायत में उपलब्ध थे।
10 मीटर व्यास का क्रेटर बनने की है उम्मीद : जेएएक्सए के वैज्ञानिकों ने कहा कि रयुगु की सतह यदि रेतीली हुई तो विस्फोट से 10 मीटर का गड्ढा बन सकता है। यदि वहां की जमीन पथरीली है तब केवल तीन मीटर व्यास का ही गड्ढा ही बन पाया होगा।
किस तरह कराया गया अंतरिक्ष में विस्फोट
हायाबुसा 2 ने रयुगु की सतह से 500 मीटर ऊंचाई पर पहुंचने के बाद कोण की आकृति वाला ‘स्मॉल कैरी ऑन इम्पैक्टर’ डिवाइस रिलीज कर दिया था। सतह पर पहुंचने के 40 मिनट बाद यह डिवाइस ब्लास्ट हुआ। इम्पैक्टर रिलीज करने बाद हायाबुसा 2 तुरंत वहां से हट गया था ताकि विस्फोट से टुकड़े से उसे नुकसान ना हो।