पड़ोसी देशों के खिलाफ चीन की आक्रामकता पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने दी चेतावनी, जरूरत पड़ी तो करेंगे कार्रवाई
अपने जापानी समकक्षों के साथ जारी बयान में एंटनी ब्लिंकन और आस्टिन ने कहा कि चीन का व्यवहार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के खिलाफ है। बयान में दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को कमजोर करने वाले प्रयासों का विरोध किया।
टोक्यो, रायटर। अमेरिका ने एक बार फिर पड़ोसियों के खिलाफ चीन की आक्रामकता पर नाराजगी जताई है। अपनी पहली विदेश यात्रा पर जापान आए अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इसमें हस्तक्षेप करेंगे। बता दें कि चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर बीजिंग अपना दावा करता है। यह मुद्दा ना केवल जापान की सुरक्षा चिंता से जुड़ा है बल्कि चीन-अमेरिका रिश्तों में खटास की एक बड़ी वजह भी है।
रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के साथ पहली विदेश यात्रा पर टोक्यो आए ब्लिंकन ने कहा कि चीन जब भी दबाव और आक्रामकता अपनाएगा तो अमेरिका जरूरत के मुताबिक कार्रवाई करेगा। अपने जापानी समकक्षों के साथ जारी बयान में ब्लिंकन और आस्टिन ने कहा कि चीन का व्यवहार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के खिलाफ है। बयान में दोनों देशों ने अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को कमजोर करने वाले प्रयासों का विरोध किया। राष्ट्रपति जो बाइडन के शीर्ष मंत्रिमंडल सहयोगियों की यह पहली विदेश यात्रा है। इस यात्रा को पिछले सप्ताह संपन्न हुए क्वाड शिखर सम्मेलन से भी जोड़कर देखा जा रहा है। खास बात यह है कि ब्लिंकन का यह बयान गुरुवार को अलास्का में होने वाली उस बैठक से पूर्व आया है, जिसमें दुनिया के दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अपने संबंधों को लेकर चर्चा करेंगे। अमेरिका बीजिंग की उस नीति की आलोचना करता रहा है, जिसमें वह अपने पड़ोसियों के खिलाफ दबाव और आक्रामकता की नीति अपनाना है। हालांकि चीन इस बात से इन्कार करते हुए आरोप लगाता है कि वाशिंगटन उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है।
लोकतांत्रिक देशों का गठजोड़ कर चीन से निपटेगा अमेरिका
चीन की बढ़ती तकनीकी शक्ति और उससे पैदा होने वाले खतरे से निपटने के लिए अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया गया है। बिल में लोकतांत्रिक देशों के साथ साझेदारी और तकनीक विकसित करने पर जोर दिया गया है। बता दें कि बिल मार्क वार्नर और बॉब मेनेंडेज के नेतृत्व में दोनों दलों से ताल्लुक रखने वाले सीनेटरों ने इस महीने की शुरुआत में यह विधेयक पेश किया था। अगर यह कानून की शक्ल ले लेता है तो इसे 'डेमोक्रेसी टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप एक्ट' के तौर पर जाना जाएगा।