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अमेरिका के लिटिल बॉय ने हिरोशिमा पर बरपाया था कहर, हुई थी डेढ़ लाख लोगों की मौत

आज ही के दिन यानि 6 अगस्त को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम से हमला किया था जिसमें डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 07:05 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 11:47 AM (IST)
अमेरिका के लिटिल बॉय ने हिरोशिमा पर बरपाया था कहर, हुई थी डेढ़ लाख लोगों की मौत
अमेरिका के लिटिल बॉय ने हिरोशिमा पर बरपाया था कहर, हुई थी डेढ़ लाख लोगों की मौत

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अब से 75 साल पहले आज ही के दिन (6 अगस्त 1945) को अमेरिकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था। इसका नाम लिटिल बॉय था। हिरोशिमा पर गिराए गए इस परमाणु बम से 20,000 से अधिक सैनिक और लगभग डेढ़ लाख सामान्य नागरिक मारे गए थे। यहां पर ये बम 6 अगस्त 1945 की सुबह अमेरिकी वायु सेना ने गिराया था।

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अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी. एस. ट्रूमैन ने अटलांटिक महासागर में "आगस्ता" जहाजी बेड़े से यह घोषणा की थी। उन्होंने बताया था कि यह बम 20 हजार टन की क्षमता का था और अब तक इस्तेमाल में लाए गए सबसे बड़े बम से दो हजार गुना अधिक शक्तिशाली था। हिरोशिमा जापानी सेना को रसद की आपूर्ति करने वाले कई केंद्रों में से एक है।

महज 43 सेकंड में नष्ट हो गया था शहर का 80 फीसदी हिस्सा

अगस्त, 1945 को हिरोशिमा पर यूरेनियम वाला पहला परमाणु बम गिरा कर ट्रूमैन ने जता दिया कि वे जापान का कैसा विध्वंस चाहते हैं। सुबह आठ बज कर 16 मिनट पर जमीन से 600 मीटर ऊपर बम फूटा और 43 सेकंड के भीतर शहर के केंद्रीय हिस्से का 80 फीसदी नेस्तनाबूद हो गया। 10 लाख सेल्शियस तापमान वाला आग का एक गोला तेज़ी से फैला, जिसने 10 किलोमीटर के दायरे में आई हर चीज को राख कर दिया। शहर के 76,000 घरों में से 70,000 तहस-नहस या क्षतिग्रस्त हो गए। 70,000 से 80,000 लोग तुरंत मर गए। 

एक क्षण में श्मशान बन गया था पूरा शहर

अमेरिका ने साल 1945 में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराकर एक ही क्षण में शमशान में बदल दिया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा शहर पर 6 अगस्त 1945 को सवा आठ बजे अमेरिका ने परमाणु बम गिराया। इस बम का नाम लिटल ब्वॉय था। इस हमले में करीब 80 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। शहर के 30 फीसदी लोगों की मौत तत्काल हो गई थी। वहीं, परमाणु विकिरण के कारण हजारों लोग सालों बाद भी अपनी जान गंवाते रहे।

पहले एटम बम के महत्वपूर्ण तथ्य

हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के कारण 13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही फैल गई थी। शहर की 60 प्रतिशत से भी अधिक इमारतें नष्ट हो गईं थीं। उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या 118,661 बताई थी।

बाद के अनुमानों के अनुसार हिरोशिमा की कुल 3 लाख 50 हज़ार की आबादी में से 1 लाख 40 हज़ार लोग इसमें मारे गए थे। इनमें सैनिक और वह लोग भी शामिल थे जो बाद में परमाणु विकिरण की वजह से मारे गए, बहुत से लोग लंबी बीमारी और अपंगता के भी शिकार हुए। यह बम स्थानीय समयानुसार 8.15 बजे "इनोला गे" कहे जाने वाले एक अमरीकी विमान बी-29 सुपरफोर्ट्रेस से गिराया गया। 

संधि तोड़कर अमेरिका ने हिरोशिमा पर गिराया था बम

1939 के सोवियत-जापानी सीमा-संघर्ष के बाद 13 अप्रैल, 1941 को दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों तक एक-दूसरे पर आक्रमण नहीं करने की संधि की थी लेकिन दो महीने बाद ही जब सोवियत संघ जर्मन आक्रमण का शिकार बना तो उसे हिटलर-विरोधी मित्र राष्ट्रों के गुट में शामिल होना पड़ा। इस दौरान उसने मित्र देशों को यह आश्वासन दिया कि ज़रूरत पड़ने पर वह सुदूरपूर्व में जर्मनी के साथी जापान के विरुद्ध मोर्चा खोलने से नहीं हिचकेगा।

यह दुविधा जापान के साथ भी थी कि वह एक ऐसे देश के साथ अनाक्रमण संधि कैसे निभाए जो उसके परम मित्र जर्मनी के साथ युद्ध में है। सोवियत संघ ने 5 अप्रैल, 1945 को जापान के साथ अनाक्रमण संधि से अपना हाथ खींच लिया। पोट्सडाम शिखर सम्मेलन के समापन के तुरंत बाद सोवियत संघ ने 8 अगस्त, 1945 को जापान अधिकृत मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया।

जापान को धूल चटाना चाहता था अमेरिका

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन अब जापान को सबक सिखाना चाहते थे। 16 जुलाई वाले सफल परमाणु परीक्षण के बाद वे जापान को अकेले ही धूल चटाना चाहते थ। 26 जुलाई, 1945 वाली अपनी पोट्सडाम घोषणा में उन्होंने कहा कि हमारी संपूर्ण सैन्य शक्ति और दृढ़निश्चय का अर्थ है जापानी सेना का विनाश। जापान पर पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया जाएगा, उसके नेताओं को अपदस्थ और तहस-नहस कर दिया जाएगा। लोकतंत्र की स्थापना होगी और युद्ध-अपराधियों को दंडित किया जाएगा।

रेगिस्तान में किया गया था पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण

- इस हमले के बाद 2 लाख लोगों पर आज भी रेडिएशन का असर बाकी है।

- यूएस एयरफोर्स के जवानों ने हमले से पहले लोगों को चेतावनी देने के लिए पर्चा गिराया था।

- परमाणु हमले में कुछ पुलिसवालों ने अपनी जान एटॉमिक चमक दिखने के बाद खास तरीके से छुपकर बचाई थी। इस प्रक्रिया को 'डक एंड कवर' कहा जाता है। इन पुलिसवालों ने नागासाकी जाकर बचाव के इस तरीके की जानकारी दी, जिससे नागासाकी परमाणु हमले में काफी लोगों ने अपनी जान बचाई।

- हमले के कारण शहर के 90 फीसदी डॉक्टर मारे गए थे इस कारण घायल होने वालों का इलाज जल्द से जल्द संभव नहीं हो पाया था, इस वजह से मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ।

- धमाके से 3900 डिग्री सेल्सियस तापमान गर्मी और 1005 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली आंधी पैदा हुई। इस बम में 6.4 किलोग्राम प्‍लूटोनियम था।

- नागासाकी शहर के पहाड़ों से घिरे होने के कारण केवल 6.7 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही तबाही फैल पाई। लगभग 74 हजार लोग इस हमले में मारे गए थे, इतनी ही संख्या में लोग घायल हुए थे।


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