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जब एक जबरदस्‍त बम धमाके से पल भर में भाप बनकर उड़ गए थे एक लाख से अधिक लोग

हिरोशिमा पर हुए एटम बम के हमले ने दूसरे विश्‍व युद्ध की दिशा ही बदल दी थी। इस हमले से जापान बुरी तरह से टूट गया था और उसके पास में हथियार डालने के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प नहीं था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 08:10 AM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 08:48 PM (IST)
जब एक जबरदस्‍त बम धमाके से पल भर में भाप बनकर उड़ गए थे एक लाख से अधिक लोग
जब एक जबरदस्‍त बम धमाके से पल भर में भाप बनकर उड़ गए थे एक लाख से अधिक लोग

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा पर किए गए एटम बम के हमले को 75 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस हमले में 1.40 लाख लोग मारे गए थे। 6 अगस्त 1945 में जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिकी वायु सेना ने जो एटम बम गिराया था उसका नाम लिटिल ब्‍वॉय था। अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने अटलांटिक महासागर में आगस्ता जहाजी बेड़े से की गई अपनी घोषणा में इस बम को 20 हजार टन की क्षमता का बताया था। हिरोशिमा जापानी सेना को रसद की आपूर्ति करने वाले कई केंद्रों में से एक था। हिरोशिमा पर किया गया हमला दरअसल जापानी नौसेना द्वारा 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका के नौसैनिक बेस पर्ल हार्बर पर हुए हमले का बदला था। पर्ल हॉर्बर के हमले के बाद अमेरिका ने दूसरे विश्‍व युद्ध का एलान कर दिया था और वो जापान के खिलाफ पूरी ताकत के साथ युद्ध के मैदान में उतर गया था।

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16 जुलाई को अमेरिका ने जिस परमाणु परीक्षण में सफलता हासिल की थी उससे अमेरिकी राष्‍ट्रपति काफी उत्‍साहित थी। हिरोशिमा पर बम गिराने का आदेश अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रूमैन ने फिलीपींस सागर में स्थित तिनियान द्वीप पर तैनात अमेरिका की प्रशांत महासागरीय वायुसेना के मुख्य कमांडर को पोट्सडाम से 25 जुलाई को दिया था। इस बम को 3 अगस्‍त को गिराया जाना था लेकिन कुछ दिक्‍कतों की वजह से ऐसा नहीं हो सका था। अमेरिका ने पहले से ही जापान के ऊपर दो बम गिराने की योजना बना ली थी। इनमें से दूसरे बम फैट मैन को जापान के दूसरे शहर पर गिराया जाना था। लिटिल ब्‍वॉय जहां एक यूरेनियम बम था वहीं फैटमैन एक प्‍लूटोनियम बम था। इसे ट्रिनिटीपरीक्षण के दो सप्ताह बाद तैयार कर लिया गया था। जापान ने बम गिराने के लिए जिन चार शहरों की सूची तैयार की थी उसमें हिरोशिमा के अलावा कोकूरा, क्योतो और निईगाता का नाम शामिल थे। नागासाकी अमेरिका के निशाने पर नहीं था. लेकिन अमेरिका के तत्कालीन युद्धमंत्री स्टिम्सन के कहने पर जापान की पुरानी राजधानी क्योतो का नाम संभावित शहरों की सूची से हटा कर उसकी जगह नागासाकी का नाम शामिल कर लिया गया।

6 अगस्‍त सुबह 8:16 बजे जमीन से 600 मीटर ऊपर एटम बम फटा था। महज 43 सेकेंड के अंदर इस शहर का 80 फीसद हिस्‍सा भाप बन कर उड़ गया था। इस बम धमाके से 10 लाख सेल्शियस तापमान हो गया था। इतनी भयंकर गर्मी की वजह से लोगों की हड्डियां भी भाप बन गई थी। इस हमले में जो कुछ गिने चुने लोग बचे थे उनके शरीर के कई अंग चीथड़े बन चुके थे। इस बम धमाके से शहर के 76,000 घरों में से 70,000 तहस-नहस या क्षतिग्रस्त हो गए और 70,000 से 80,000 लोग कुछ ही पल में मारे गए थे। इस हमले के कई सालों बाद भी यहां से निकलने वाली घातक किरणों की वजह से लोग अपंग पैदा होते रहे थे। उस समय जापान ने इस हमले में मरने वाले नागरिकों की आधिकारिक संख्या 118,661 बताई थी। बाद के अनुमानों के अनुसार हिरोशिमा की कुल 3 लाख 50 हजार की आबादी में से 1 लाख 40 हजार लोग इसमें मारे गए थे। यह बम इनोला गे कहे जाने वाले एक अमरीकी विमान बी-29 सुपरफोर्ट्रेस से गिराया गया था। बम धमाके के बाद ही आसमान में सैकड़ों मीटर तक मशरूम कलाउड बन गए थे। इसकी वजह से हवा से आक्‍सीजन खत्‍म हो गई थी और इसकी वजह से शेल्‍टर में छिपे हुए लोग भी सांस न ले पाने की वजह से मारे गए थे।

1939 के सोवियत-जापानी सीमा-संघर्ष के बाद 13 अप्रैल, 1941 को दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों तक एक-दूसरे पर आक्रमण नहीं करने की संधि की थी लेकिन दो महीने बाद ही जब सोवियत संघ जर्मन आक्रमण का शिकार बना तो उसे हिटलर-विरोधी मित्र राष्ट्रों के गुट में शामिल होना पड़ा। इस दौरान उसने मित्र देशों को यह आश्वासन दिया कि जरूरत पड़ने पर वह सुदूरपूर्व में जर्मनी के साथी जापान के विरुद्ध मोर्चा खोलने से नहीं हिचकेगा। यह दुविधा जापान के साथ भी थी कि वह एक ऐसे देश के साथ अनाक्रमण संधि कैसे निभाए जो उसके परम मित्र जर्मनी के साथ युद्ध में है। सोवियत संघ ने 5 अप्रैल, 1945 को जापान के साथ अनाक्रमण संधि से अपना हाथ खींच लिया। पोट्सडाम शिखर सम्मेलन के समापन के तुरंत बाद सोवियत संघ ने 8 अगस्त, 1945 को जापान अधिकृत मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया।

हिरोशिमा में ही दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान मारे गए लोगों की याद में शांति स्मारक और संग्रहालय भी बनाया गया है। इस संग्रहालय की स्थापना 1955 में हुई थी।

जब ये हमला हुआ था तो तोशिकी फुजीमोरी की उम्र उस वक्‍त महज एक साल की थी। तीन वर्ष पहले उन्‍होंने एक समाचार एजेंसी को बताया था कि हमले के वक्‍त वह अपनी मां की गोद में थे। धमाके की आवाज से वह मां संग जमीन पर गिर पड़े थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हमले के 72 वर्ष बाद उन्‍होंने परमाणु हथियार मानवता का दुश्मन बताया था। उनका कहना था कि यह मानवता के लिए किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है। हिरोशिमा इसका दंश झेल चुका है।


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