सुदूर इंडोनेशियाई द्वीप में मिली दुनिया की सबसे बड़ी चूहे के आकार की मधुमक्खी
वैज्ञानिकों की एक टीम को जनवरी में उत्तरी मोलुक द्वीप पर एक अभियान के दौरान एक अकेली जीवित मादा मधुमक्खी मिली। विशालकाय मधुमक्खी को वैलेस के रूप में जाना जाता है।
जकार्ता, जेएनएन। वैज्ञानिकों की एक टीम को जनवरी में उत्तरी मोलुक द्वीप पर एक अभियान के दौरान एक अकेली जीवित मादा मधुमक्खी मिली। विशालकाय मधुमक्खी को वैलेस के रूप में जाना जाता है। मधुमक्खी को टीम ने फिल्माया और कई फोटो खींचे, जिसे यूरोपीय मधुमक्खी से चार गुना बड़ी बताया गया।
इस कीट को पहली बार 1858 में ब्रिटेन के प्रकृतिवादी अल्फ्रेड रसेल वैलेस ने उष्णकटिबंधीय इंडोनेशियाई द्वीप बेकन पर देखा था। विशाल आकार की मधुमक्खी के कई नमूने अगली बार 1981 में मिले, लेकिन इस साल के समाप्त होने के बाद से इसे नहीं देखा गया था। अभियान के वैज्ञानिकों में से एक क्ले बोल्ट ने इस सांस थामने वाले जंगली कीट को उड़ने वाले बुलडॉग कुत्ते के रूप में वर्णन किया।
अभियान में बोल्ट के साथ शामिल हुए एली वियान ने कहा कि वास्तव में इसे देखने के बाद लगा कि जीवन में कितनी सुंदर और बड़ी प्रजातियां हैं। उसके विशाल पंखों की आवाज़ सुनकर लगा जैसा कि यह मेरे सिर के पिछले हिस्सा उड़ रहा है। यह अविश्वसनीय था। मेरा सपना अब इंडोनेशिया के इस हिस्से में इस मधुमक्खी का पुनरन्वेषण कर सिर ऊंचा उठाया जाए। यह वहां के स्थानीय लोगों के लिए गर्व की बात है।
इस यात्रा को पर्यावरण समूह ग्लोबल वाइल्डलाइफ़ कंजर्वेशन ने समर्थन दिया, जिसने 25 'लुप्त प्रजातियां' का दुनिया भर में शिकार शुरू किया गया है। इनमें फर्नांडीना गैलापागोस कछुआ को अंतिम बार 1906 में देखा गया, और 1949 में सिनू तोते शामिल हैं।