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ब्रिटेन से हांगकांग की वापसी के बाद से ही वहां अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करता रहा है चीन

हांगकांग को कभी ब्रिटेन ने 100 वर्षों के लिए लीज पर लिया था। इसको 1997 में वापस चीन को सौंप दिया गया था। इसकी हैंडओवर सेरेमनी से पहले इसको लेकर बातचीत का लंबा दौर चला था जिसके बाद इसको चीन को सौंपा गया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 30 Jun 2021 02:37 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jun 2021 02:37 PM (IST)
ब्रिटेन से हांगकांग की वापसी के बाद से ही वहां अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करता रहा है चीन
ब्रिटेन ने 1997 में चीन को वापस सौंपा था हांगकांग

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। हांगकांग के लिए आज का दिन बेहद खास है। खास इसलिए क्‍योंकि 1997 में आज ही के दिन एक समझौते के तहत ब्रिटेन ने इसे वापसचीन को सौंप दिया था। दरअसल 1897 में ब्रिटेन ने चीन के इस भाग को 100 वर्षों के लिए लीज या पट्टे पर लिया था जिसको मियाद पूरी होने पर वापस दिया गया था। इसके साथ ही हांगकांग से ब्रिटेन का झंडा औपचारिक तौर पर उतार दिया गया और वहां पर चीन का झंडा लहरा दिया गया था। इसलिए भी इतिहास में दर्ज ये पल बेहद खास है। हालांकि ये भी सही है कि हांगकांग की वापसी के बाद से चीन यहां पर पकड़ बनाने की हर संभव कोशिश करता रहा है।

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आपको बता दें कि 1842 से 1898 के बीच चीन और ब्रिटेन के बीच तीन संधियां हुई थी, जिसके बाद ब्रिटेन को हांगकांग और इसके आसपास के इलाके पर कब्‍जा मिल गया था। इस कब्‍जे के बाद मार्च 1979 में हांगकांग के तत्‍कालीन गवर्नर मर्रे मैक्लेहोज पहली बार चीन के आधिकारिक दौरे पर गए थे। इस यात्रा का मकसद हांगकांग के मुद्दे पर चीन में डेंग जियाओपिंग के साथ उनकी बैठक थी। इस बैठक में हांगकांग की संप्रभुता पर चर्चा की गई थी। उस वक्‍त हांगकांग आर्थिक रूप से मुश्किलों से गुजर रहा था। बैठक के दौरान जहां हांगकांग के गवर्नर ने हांगकांग को कर्ज मिलने में हो रही परेशानी का जिक्र किया वहीं डेंग ने हांगकांग की वापसी का मुद्दा उठाते हुए उसे विशेष दर्जा देने की बात की थी।

इस मुलाकात के बाद ब्रिटेन ने हांगकांग में कई जरूरी कदम उठाए। इन कदमों में किसी भी आपात स्थिति में वहां से जाने के लिए मार्ग और योजना दोनों ही तैयार की गई। इस घटना के तीन वर्ष बाद एडवर्ड हीथ ब्रिटेन की पीएम मार्गेट थेचर के दूत बनकर हांगकांग गए। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक में तय हुआ कि हांगकांग की वापसी के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। इसके बाद कई दौर की लंबी वार्ता हुई। इन वार्ताओं का नतीजा ही था कि 19 दिसंबर 1984 को बीजिंग में एक संयुक्त घोषणा पत्र पर दस्तखत किए गए। इसमें हांगकांग की संप्रभुता का जिक्र किया गया था। इसमें कहा गया कि हांगकांग में चीन की तरह कोई सोशलिस्ट सरकार नहीं बनेगी। इसमें ये भी कहा गया कि हांगकांग में अगले 50 वर्ष तक शासन उसी तर्ज पर चलेगा जैसे ब्रिटेन के दौर में चलता था।

हालांकि ये समझौता हांगकांग के लोगों के लिए उम्‍मीद कम और मायूसी लाने वाला अधिक साबित हुआ। इस समझौते के बाद काफी संख्‍या में लोगों ने हांगकांग को छोड़कर दूसरे देशों में खुको बसाने का फैसला लिया। यहां से जाने वाले अधिकतर लोग ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से लेकर जांबिया और इक्‍वाडोर जैसे देशों में बस गए। 30 जून 1997 की आधी रात को ब्रिटेन ने हांगकांग को फिर से चीन के हवाले कर दिया और उसको संप्रभुता मिल गई। हांगकाग की हैंडओवर सेरेमनी में ब्रिटेन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर, प्रिंस चार्ल्स और तमाम दूसरे बड़े अधिकारी मौजूद थे। वहीं चीन की तरफ से राष्ट्रपति जियांग जेमीन और हांगकांग में चीन के पहले चीफ एग्जिक्यूटिव तुंग ची-ह्वा मौजूद रहे थे।

हांगकांग को ब्रिटेन से पाने के बाद से ही चीन ने उस पर अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी थी। ऐसा करते हुए उसने कई बार अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के साथ-साथ ब्रिटेन से हांगकांग को लेकर हुए उसके करार को भी नजरअंदाज कर दिया गया। वर्तमान समय में हांगकांग के लोगों और चीन की सरकार के बीच टकराव की शुरुआत तभी हो गई थी जब ब्रिटेन ने इसको चीन के हवालो किया था। तब से लेकर अब तक कई बार चीन की सरकार और हांगकांग के बीच कई बार टकराव के पल आए हैं। मौजूदा समय में चीन ने वहां पर अपनी पकड़ बनाने के लिए न सिर्फ कानूनों में फेरबदल किया है बल्कि अपनी पसंदीदा सरकार को भी वहां पर बिठाया है। 


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