चीन की दखल से वियतनाम को ठेका रद करने पर अदा करनी पड़ेगी एक अरब डॉलर की क्षतिपूर्ति
दक्षिण चीन सागर में लंबे अरसे से अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए चीन पिछले कई वर्षो से वियतनाम स्थित तेल और गैस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को रोकने का प्रयास करता चला आ रहा है।
वाशिंगटन, एएनआइ। दक्षिण चीन सागर में बढ़ते चीनी दखल की कीमत वियतनाम को चुकानी पड़ रही है। दरअसल, वियतनाम ने तेल एवं गैस क्षेत्र का पता लगाने के लिए कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को ठेका दिया था, लेकिन चीन के दबाव के चलते उसने बाद में यह ठेके रद कर दिए।
अब वियतनाम ने क्षतिपूर्ति के तहत इन कंपनियों को एक अरब डॉलर (लगभग 7500 करोड़ रुपये) का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है। बता दें कि दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में लंबे अरसे से अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए चीन पिछले कई वर्षो से वियतनाम स्थित तेल और गैस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को रोकने का प्रयास करता चला आ रहा है।
लेखक बिल हेटन ने तेल उद्योग क्षेत्र से जुड़े स्रोतों का हवाला देते हुए कहा, 'वियतनाम की सरकारी ऊर्जा कंपनी पेट्रो वियतनाम स्पेन की रेपसोल और संयुक्त अरब अमीरात मुबाडला को क्षतिपूर्ति मुआवजा अदा करेगी। इस बीच रूस की ऊर्जा कंपनी रोसनेफ्ट को तेल उत्खनन रोकने के लिए मजबूर किया गया है। यह हाल तब है जब जिस जगह ड्रिलिंग की जानी थी वहां पर चीन के कोस्ट गार्ड के पोत काम कर रहे हैं।' चीन के दबाव को एक अन्य उदाहरण से समझा जा रहा है।
बीजिंग ने दो महीने ड्रिलिंग रिग (तेल उत्खनन वाला उपकरण) को वुंग ताऊ के वियतनामी बंदरगाह पर दो महीने तक खड़ा रखा। इसकी कर्ताधर्ता कंपनी नोबेल कारपोरेशन ने कहा कि उसके इस कदम से वियतनाम के तेल उत्खनन की लागत हजारों करोड़ रुपये बढ़ सकती है।
चीन साउथ चाइना शी पर अपना कब्जा बताता है, वो वहां पर किसी दूसरे देश को किसी तरह से काम नहीं करने देना चाहता है। बताया जाता है कि साउथ चाइना शी में काफी मात्रा में खनिज भंडार मौजूद है, चीन की इस पर नजर है। इस वजह से वो किसी दूसरे देश को यहां पर न तो इन खनिजों का पता लगाने देता है न ही उनको यहां पर अन्य किसी तरह से अपनी उपस्थिति बनाए रहने देता है।
वैसे तो ये एरिया वियतनाम के पास है मगर उसके बाद भी वो यहां पर किसी तरह से खनिज नहीं निकाल पाता है। चीन के युद्धपोत यहां पर पहले से तैनात रहते हैं जैसे ही कोई देश यहां पर इस तरह से कुछ काम करता है तो उस पर गोलीबारी शुरू कर दी जाती है। यदि कोई बड़ा युद्धपोत यहां तैनात होता है तो उसको नष्ट कर दिया जाता है। जिन कंपनियों ने यहां पर खनिज का पता लगाने के लिए वियतनाम से किसी तरह से समझौता किया था, अब चीन की वजह से वो यहां पर काम नहीं कर पा रही है। ऐसे में वियतनाम को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा।