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चीन की कैद में रहे उइगर ने सुनाई उत्पीड़न की दास्तां, सुनकर सिहर जाएंगे आप

आपबीती सुनाते हुए ओमिर बेकाली ने कहा कि चीन में चल रहे इन शिविरों का मुख्य उद्येश्य लोगों की धार्मिक सोच खत्म कर देना है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 11:49 PM (IST)Updated: Fri, 22 Mar 2019 11:49 PM (IST)
चीन की कैद में रहे उइगर ने सुनाई उत्पीड़न की दास्तां, सुनकर सिहर जाएंगे आप
चीन की कैद में रहे उइगर ने सुनाई उत्पीड़न की दास्तां, सुनकर सिहर जाएंगे आप

इस्तांबुल, एएफपी।  संयुक्त राष्ट्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक, चीन में 10 लाख के करीब उइगर मुसलमान शिविरों में बंधक के तौर पर जीने को मजबूर हैं। मुख्य रूप से शिनजियांग प्रांत में चलाए जा रहे इन शिविरों को कम्‍युनिस्‍ट सरकार उइगर मुसलमानों से कट्टर विचार निकालने के उद्देश्य से बनाई गई शैक्षणिक संस्था का नाम देती है। गत सप्ताह चीन के उप विदेश मंत्री ले युचेंग ने इन्हें शैक्षणिक परिसर कह कर संबोधित किया था। हालांकि वहां करीब दो महीने कैद में समय बिताए ओमिर बेकाली की आपबीती कुछ और ही बयां करती है।

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ओमिर बेकाली को चीन के ऐसे ही एक शिविर में हिरासत में रखा गया था। ओमिर का जन्म शिनजियांग प्रांत में हुआ था। उइगर और कजाख माता-पिता की संतान होने से ओमिर को कजाखिस्तान की नागरिकता मिल गई। 2017 में कारोबार के सिलसिले में चीन पहुंचे ओमिर को आतंकवाद को बढ़ावा देने के जुर्म में गिरफ्तार कर ऐसे ही एक शिविर में बंद कर दिया गया। हालांकि कजाखस्तान अधिकारियों द्वारा सारी जानकारी मुहैया कराने के बाद ओमिर को छोड़ना पड़ा।

आपबीती सुनाते हुए ओमिर ने कहा कि चीन में चल रहे इन शिविरों का मुख्य उद्येश्य लोगों की धार्मिक सोच खत्म कर देना है। इस्लाम में सूअर खाने की सख्त मनाही है। चीन के इन शिविरों में मुसलमान को शुक्रवार के दिन सूअर खाने को विवश किया जाता है, जबकि यह दिन इस्लाम मानने वालों के लिए सबसे पवित्र है।

ओमिर ने बताया कि नमाज अदा करने और दाढ़ी बढ़ाने वालों को भी ये लोग कट्टरवादी कहकर हिरासत में बंद कर देते हैं। बंधकों को अपनी स्थानीय भाषा बोलने की भी आजादी नहीं है। कैदियों को स्टुडेंट कहकर बुलाने वाले अधिकारी सहित सारे लोग सिर्फ चीनी भाषा इस्तेमाल करते हैं। ओमिर उन गिने-चुने लोगों में से हैं जो चीन की इन शिविरों से अभी तक बाहर निकल पाए हैं।


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