दक्षिण चीन सागर में फिर लौटे अमेरिकी युद्धपोत, घबराया चीन, बोला- तनाव बढ़ा रहा अमेरिका
अमेरिकी नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत फिर से दक्षिण चीन सागर में लौट आए हैं। युद्धपोत यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन की यह दूसरी तैनाती है।
हनोई, रायटर। अमेरिका और चीन के बीच तनाव का कारण बने अमेरिकी नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत फिर से दक्षिण चीन सागर में लौट आए हैं। युद्धपोत यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन की दक्षिण चीन सागर में दो हफ्ते में यह दूसरी बार तैनाती है। पूरे दक्षिण चीन सागर को चीन अपना हिस्सा बताता है जबकि अमेरिका सहित बाकी दुनिया इसके कुछ हिस्से पर पड़ोसी देशों का अधिकार और बाकी को स्वतंत्र क्षेत्र मानती है। इस समुद्री क्षेत्र पर वर्षो से चल रही तनातनी हाल के महीनों में चरम पर पहुंच गई है। अमेरिका और चीन, दोनों ने एक-दूसरे पर इलाके में तनाव पैदा करने का आरोप लगाया है।
दुनिया के सर्वोत्कृष्ट विमानवाहक पोतों में शामिल इन दोनों ही अमेरिकी युद्धपोतों पर परमाणु हथियारों की तैनाती है। दोनों पर एक सौ से ज्यादा अत्याधुनिक लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैनात हैं। दोनों युद्धपोतों के साथ करीब ढाई दर्जन अन्य मंझोले आकार और क्षमता वाले युद्धपोत और विध्वंसक चलते हैं। इतना ही नहीं पानी के भीतर इनकी सुरक्षा के लिए खासतौर पर पनडुब्बी तैनात रहती हैं। ये युद्धपोत किसी भी देश से अमेरिका का युद्ध होने पर मुकाबले का नक्शा बदलने में सक्षम हैं। चीन के पास इनसे बहुत कम क्षमता वाला महज एक विमानवाहक युद्धपोत है।
बीती चार जुलाई से छह जुलाई तक दोनों अमेरिकी युद्धपोतों ने दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास किया था। इससे इलाके में खासा तनाव बढ़ गया था और चीन की नौसेना अलर्ट पर आ गई थी। इसके बाद दोनों युद्धपोत प्रशांत महासागर में भ्रमण के लिए चले गए थे। कोविड-19 और हांगकांग में विशेष सुरक्षा कानून लागू करने के चलते चीन और अमेरिका के बीच इन दिनों तनाव बढ़ा हुआ है।
इस बीच चीन से सटे दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी विमानवाहक पोतों की तैनाती खास मकसद की ओर इशारा करती है। लेकिन अमेरिकी नौसेना के रियर एडमिरल और यूएसएस निमित्ज के कमांडर जिम किर्क ने कहा है- निमित्ज और रोनाल्ड रीगन स्ट्राइक ग्रुप अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन सुनिश्चित कराने और क्षेत्रीय सहयोगियों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं। हिंद और प्रशांत महासागर में सभी का आवागमन निर्बाध रूप से जारी रहे, यह सभी के लिए जरूरी है। दोनों युद्धपोतों की तैनाती किसी राजनीतिक या वैश्विक कारण से नहीं हुई है।