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चीन में शिनजियांग यातना कैंपों को बंद कराए अमेरिका, दुनियाभर के उइगरों ने लिखा ब्लिंकन को पत्र

दुनियाभर में रहने वाले उइगरों ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि वह शिनजियांग में यातना कैंपों को बंद कराए। यह अपील ऐसे समय में की गई है जब अलास्का में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों की दो दिवसीय बैठक हो रही है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 05:51 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 01:16 AM (IST)
चीन में शिनजियांग यातना कैंपों को बंद कराए अमेरिका, दुनियाभर के उइगरों ने लिखा ब्लिंकन को पत्र
दुनियाभर में रहने वाले उइगरों ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि वह शिनजियांग में यातना कैंपों को बंद कराए।

जेनेवा, रायटर। चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर सरकारी अत्याचार के विरोध में दुनियाभर में रहने वाले उइगरों ने अमेरिका से गुहार लगाई है। निर्वासित उइगरों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर शिनजियांग के यातना कैंपों को बंद कराने की अपील की है। यह अपील ऐसे समय में की गई है, जब अलास्का में दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों की दो दिवसीय वार्ता हो रही है। इसमें अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन शामिल हुए हैं।

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चीन को चेतावनी दे चुके हैं ब्लिंकन 

उइगरों के मामले में पहले ही विदेश मंत्री ब्लिंकन चीन को चेतावनी दे चुके हैं। व‌र्ल्ड उइगर कांग्रेस के अध्यक्ष डोल्कन ईसा ने कहा कि वार्ता में चीन को सबसे पहले नरसंहार और यातना कैंपों को बंद करने के लिए कहना चाहिए। उल्लेखनीय है कि चीन के शिनजियांग प्रांत में लगभग दस लाख उइगर मुस्लिम यातना कैंपों में हैं। इन पर तरह-तरह से अत्याचार किए जा रहे हैं। महिलाओं का भी यौन शोषण हो रहा है।

व्हाइट हाउस पर प्रदर्शन

वहीं समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में रहने वाले तिब्बती, उइगर और हांगकांग मूल के लोगों ने व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन के साथ पहली बार चीन की अलास्का में चल रही आमने-सामने की वार्ता में इन तीनों स्थानों के मुद्दों को मजबूती के साथ उठाया जाए।

धार्मिक स्वतंत्रता बहाल करे चीन 

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चीन को इस बात के लिए मजबूर किया जाए कि वह अपने यहां मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता को हर हाल में बहाल करे। प्रदर्शन करने वालों में तमाम लोग ऐसे भी थे, जो हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। शिनजियांग और तिब्बत में अत्याचारों के पीडि़त रहे हैं। इनके साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता भी थे। अलास्का में दोनों देशों के बीच दो दिवसीय वार्ता चल रही है।  


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