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चीन के आंतरिक मामलों में दखल न दे अमेरिका: शीर्ष चीनी राजनयिक

अमेरिका की सत्ता बदलने के बाद पहली बार किसी शीर्ष चीनी राजनयिक ने दोनों देशों के बीच सुलह की पैरवी की साथ ही कहा कि वाशिंगटन की ओर से चीन के आंतरिक मामलों में दखल न दिया जाए।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2021 09:46 AM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2021 09:46 AM (IST)
चीन के आंतरिक मामलों में दखल न दे अमेरिका: शीर्ष  चीनी राजनयिक
बाइडन के अमेरिकी सत्ता में आने के बाद पहले शीर्ष चीनी नेता का बयान

बीजिंग, रॉयटर्स। चीन (China) के शीर्ष राजनयिक (diplomat) ने मंगलवार को वाशिंगटन व बीजिंग के बीच संबंधों को बहाल करने की सिफारिश की साथ ही बीजिंग के आंतरिक मामलों में वाशिंगटन के दखल पर ऐतराज जताया।  राजनयिक ने दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंध को खत्म करने और रचनात्मक वार्ता पर जोर देते हुए कहा कि  चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने से अमेरिका को बचना चाहिए। इस क्रम में उन्होंने उदाहरण के तौर पर हांग कांग (Hong Kong ) और तिब्बत (Tibet) का नाम लिया।  

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अमेरिका के नए राष्ट्रपति का पद जो बाइडन को मिलने के बाद पहली बार किसी शीर्ष चीनी अधिकारी का बयान दोनों देशों के बीच हुए तल्ख संबंधों को लेकर आया है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के विदेशी मामलों के आयोग के निदेशक यांग जिची (Yang Jiechi) ने दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंध को देखते हुए मंगलवार को यह बयान दिया है।

यांग ने जोर देकर कहा कि चीन के विकास में कोई बाधक नहीं बन सकता है। उन्होंने कहा, 'हांग कांग, तिब्बत, शिनजियांग और चीन के अन्य आंतरिक मुद्दों में अमेरिका को दखल नहीं देना चाहिए।' बीजिंग में मंगलवार को चीन-अमेरिका संबंध पर राष्ट्रीय आयोग द्वारा आयोजित ऑनलाइन फोरम में यांग ने यह बयान दिया। विदेश मंत्री से भी अधिक प्रभावी यांग को यह अधिकार सत्तारूढ़ CCP ने दिया। यांग ने इस बात को दोहराया कि चीन अमेरिका के साथ काम करने को तैयार है और दोनों देशों के बीच के संबंध को आगे ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि आने वाले दशक में 22 ट्रिलियन डॉलर के चीन से आयात से अमेरिकी फर्म को फायदा होगा। 

वर्ष 1979 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बने थे जिसके बाद  ट्रंप प्रशासन (Trump administration) के दौरान यह सबसे अधिक खराब हो गए थे । दरअसल इस दौरान व्यापार, टेक्नोलाजी से लेकर हांग कांग, ताइवान, शिनजियांग और दक्षिण चीन सागर मुद्दों पर दोनों देशों में अनबन रही जो अब तक जारी है। 


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