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शी चिनफिंग, माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता या कल के तानाशाह?

2012 तक सभी को लगता था कि शी चिनफिंग एक सामान्‍य नेता हैं। राष्‍ट्रपति के बाद वह म्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने और चीन की सेना के चैयरमैन भी।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 04:24 PM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 04:47 PM (IST)
शी चिनफिंग, माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता या कल के तानाशाह?
शी चिनफिंग, माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता या कल के तानाशाह?

शंघाई, रायटर। राष्ट्रपति शी चिनफिंग, माओ जेडोंग के बाद चीन के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में विश्‍व के सामने खड़े हैं। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस द्वारा चिनफिंग शनिवार को राष्ट्रपति के रूप में दूसरे पांच साल के कार्यकाल के लिए फिर से चुने जाएंगे। कम्युनिस्ट पार्टी के क्रांतिकारी और एक बार के उप-प्रधानमंत्री शी झोंग्क्सन के बेटे, शी चिनफिंग ने दशकों तक पार्टी और सरकार का रुख अपनाते हुए काम किया, लेकिन 2012 में पार्टी के प्रमुख बनने के बाद से उनके हाथ में सत्ता आई और फिर उन्‍होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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2012 तक सभी को लगता था कि शी चिनफिंग एक सामान्‍य नेता हैं। राष्‍ट्रपति के बाद वह कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने और चीन की सेना के चैयरमैन भी। तब चीन के साथ-साथ पीछे विश्‍व को पता चल गया कि शी चिनफिंग को समझने में राननीतिक पंडितों ने बड़ी चूक की थी। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि माओ जेडोंग के बाद शी चिनफिंग एक बार फिर संविधान से ऊपर हो जाएंगे। चीन में शी चिनफिंग की मर्जी के बिना एक पत्‍ता भी नहीं हिलेगा। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रपति के अधिकतम 10 साल के शासन की परंपरा को तोड़ रही है। शी चिनफिंग दूसरी बार राष्‍ट्रपति बनने जा रहे हैं। लेकिन अब ये कहना बड़ा मुश्किल है कि वह कितने साल और सत्‍ता पर काबिज रहेंगे।

हालांकि शी चिनफिंग पहले ऐसे चीनी नेता नहीं हैं, जिनकी राजनीति इच्‍छाएं संविधान से ऊपर हो गई हैं। इससे पहले चीन में ऐसे प्रस्‍ताव सामने आए। इसीलिए सुधारवादी नेता डेंग शियाओपिंग ने 10 साल के कार्यकाल का प्रावधान पेश किया था। 1982 से 1987 तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन रहे शियाओपिंग को लगा कि इस प्रावधान के बाद कोई माओ त्से तुंग की तरह सत्ता का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। माओ त्से तुंग चीनी गणतंत्र के संस्थापक थे। अभी उसी राह पर शी चिनफिंग चल रहे हैं। अब देखना ये है कि शी चिनफिंग सत्‍ता के जिस शिखर पर बैठे हैं, वहां से कितना और ऊपर उठ पाते हैं। कहीं शी चिनफिंग कल 'तानाशाह' के रूप में न उभरे, जिसकी संभावना जताई जा रही है।

शी चिनफिंग का सफर...
15 जून 1953 को हुआ जन्‍म: शी चिनफिंग का जन्‍म बीजिंग में एक अधिकारी के घर 'राजकुमार' के रूप में हुआ। उनके पिता, शी झोंग्क्सन, कम्युनिस्ट क्रांति में लड़े और बाद में एक अधिकारी के रूप में कार्य किया, जो एक उदार-दिमाग वाले शख्‍स थे। युवा शी की परवरिश अभिजात वर्ग के बीच हुई। लेकिन उन्‍होंने अपने पिता को 1966-76 की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान जेल जाते देखा, जिन्‍हें माओ की मौत के बाद रिहा किया गया।

1974 में युवा शी चिनफिंग को सांस्‍कृतिक क्रांति के दौरान गरीब ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए भेजा गया। 17 साल की उम्र में वह कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल हो गए थे। इसके बाद 1974 में सिर्फ 21 वर्ष की आयु में पार्टी का हिस्‍सा बन गए।

9 सितंबर 1976 में माओ जेडोंग की 82 वर्ष की उम्र में मौत हो गई। शी चिनफिंग उस समय सिर्फ 23 वर्ष के थे और त्सिंगहुआ विश्वविद्यालय में एक रासायनिक इंजीनियरिंग के छात्र थे। इस समय पूरा चीन शोक में डूबा हुआ था और माओ के अगुवाई वाले उत्तराधिकारी हुआ गुओफ़ेंग ने कुछ समय के लिए उनकी जगह ले ली थी। लेकिन जब ही उन्‍हें सत्‍ता से बेदखल कर दिया गया।

4 दिसंबर 1982 में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने एक नया संविधान अपनाया है, जिसमें प्रावधान शामिल था कि राष्‍ट्रपति और उप-राष्‍ट्रपति का कार्यकाल अधिकतम 10 वर्ष हो सकता है। दरअसल, पार्टी नहीं चाहती थी कि माओ के 27 साल तक चीन पर राज करने के बाद कोई तानाशाह सत्‍ता पर काबिज हो।

15 मार्च 2008 को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने शी को पार्टी का उपाध्यक्ष चुना।

15 नवंबर 2012 शी को कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव का पद दिया गया है। इसी के साथ वह केन्द्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी बना दिए गए। पार्टी और सेना में शीर्ष पदों पर काबिज होने के बाद उन्‍होंने अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए पैंतरेबाज़ी करना शुरू कर दिया था।

दिसम्बर 2012 में शी चिनफिंग ने भ्रष्‍टाचार विरोधी अभियान की शुरुआत की, जिसे काफी पसंद किया गया। इस अभियान के साथ ही वह जनता में भी लोकप्रिय हो गए। लेकिन आलोचक शी की मंशा समझ गए थे। शी पर आलोचकों ने आरोप लगाया कि इस अभियान के जरिए वह अपने राजनितिक विरोधियों को बेअसर करने का प्रयास कर रहे हैं। दरअसल, अभियान के दौरान हजारों अधिकारियों को भ्रष्टाचार या 'अनुशासन उल्लंघन' के लिए दंडित किया गया। इसमें पूर्व पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के सदस्य झोउ योंगकांग भी शामिल थे। शी ने सेना में वरिष्ठ पदों पर बैठे भ्रष्‍ट लोगों का सफाया करने के लिए भी अभियान का उपयोग किया।

14 मार्च 2013 को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने शी चिनफिंग को अध्यक्ष के रूप में चुना। इसके बाद उन्‍हें एक ऐसा मंच मिला, जिस पर वह वैश्विक स्तर पर चीन के हितों को बढ़ावा दे सकते थे।

25 अक्तूबर 2017को एक बार फिर से 19वीं पार्टी कांग्रेस के दौरान शी चिनफिंग को पार्टी के जनरल सेक्रेटरी के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया।

11 मार्च 2018 को चीन की संसद ने राष्ट्रपति पद की समय सीमा समाप्त कर दी। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में लगभग सर्वसम्‍मति से इस प्रस्‍ताव को पास किया, इसके विरोध में सिर्फ 2 मत पड़े। इसका मतलब यह है कि शी चिनफिंग अब 10 साल से ज्‍यादा तक चीन की सत्‍ता पर काबिज रह सकते हैं।


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