हमारे देश में बच्चे जिस उम्र में गेम खेलते हैं, चीन में कोडिंग सीख रहे हैं
तकनीक के क्षेत्र में चीन यूं ही अमेरिका से साथ ही यूरोपीय देशों और जापान को चुनौती नहीं दे रहा है।
बीजिंग, एएफपी। तकनीक के क्षेत्र में चीन यूं ही अमेरिका से साथ ही यूरोपीय देशों और जापान को चुनौती नहीं दे रहा है। हमारे यहां छोटी उम्र में बच्चे जहां अंग्रेजी, गणित, नृत्य और संगीत का ट्यूशन लेते हैं और गेम खेलते हैं, चीन में उस उम्र के बच्चे जटिल कोडिंग सीखते हैं।
कोडिंग ट्यूटोरियल चैनल शुरू
चीन के वीडियो स्ट्रीमिंग साइट बिलीबिली पर वीटा नामक बच्चे ने इस साल अगस्त में कोडिंग ट्यूटोरियल चैनल शुरू किया था। चार महीने में ही उसके 60 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हो गए हैं और 10 लाख से ज्यादा लोगों ने उसकी साइट को देखा है।
वीटा इकलौता नहीं है। चीन में उसकी तरह के बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ये है कि प्राइमरी स्कूल में दाखिला लेने से पहले ही वहां बच्चे कोडिंग सीख रहे हैं। इसके पीछे अभिभावकों की बड़ी भूमिका है, जो यह समझ रहे हैं कि चीन सरकार ने जिस तरह से तकनीक को बढ़ावा दे रही है, उस स्थिति में युवाओं को कोडिंग की जानकारी होनी ही चाहिए।
शंघाई में रहने वाले वीटा का कहना है कि कोडिंग आसान नहीं है, लेकिन बहुत कठिन भी नहीं है। कम से कम उसे जितना मुश्किल माना जाता है उतना तो नहीं ही है। वीटा अपने चैनल के माध्यम से अपने से बड़ी उम्र के बच्चों को भी कोडिंग के बारे में बताता है। वह कहता है कि जब वह पढ़ाता है तो उसके साथ कुछ नई बातें सीखता भी है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भारी निवेश
चीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) में भारी निवेश कर रहा है। लोगों को लग रहा है कि 20 साल बाद नौकरियों में जिनके पास कोडिंग का कौशल नहीं होगा, उनकी जगह रोबोट ले लेंगे। इसलिए लोग अपने छोटे बच्चों को कोडिंग की ट्यूशन दे रहे हैं। कोडिंग कंप्यूटिंग में एक प्रारंभिक शिक्षा है, जो प्रौद्योगिकी की दुनिया को समझने में मदद करती है।
कंप्यूटर कोडिंग का इस्तेमाल सॉफ्टवेयर, वेबसाइट और ऐप बनाने में किया जाता है। कोडिंग के प्रति चीन का मौजूदा उत्साह उसे दुनिया में एआइ का पावर हाउस बना सकता है।