राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में अपने अधिकारों को मिली चुनौती पर पाया काबू
शीर्ष सूत्रों के मुताबिक चिनफिंग को उनकी आक्रामक नीतियों के कारण सीसीपी के कुछ सदस्यों की ओर से असहमतियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन सीसीपी की केंद्रीय समिति के पूर्ण सत्र में चिनफिंग सभी अंदरूनी राजनीतिक दबावों को टालने में सफल रहे।
नई दिल्ली, एजेंसी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ([सीसीपी)] की केंद्रीय समिति के पांचवें पूर्ण सत्र में अपने अधिकारों को मिली सभी चुनौतियों पर काबू पा लिया है। शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, चिनफिंग को उनकी आक्रामक नीतियों के कारण सीसीपी के कुछ सदस्यों की ओर से असहमतियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन सीसीपी की केंद्रीय समिति के पूर्ण सत्र में चिनफिंग सभी अंदरूनी राजनीतिक दबावों को टालने में सफल रहे।
सीसीपी में निर्णय लेने वाले सर्वोच्च निकाय केंद्रीय समिति की चार दिवसीय यह बैठक गुरवार को समाप्त हो गई। नई दिल्ली में विशेषषज्ञों का मानना है कि फिलहाल कुछ समय के लिए चिनफिंग सवालों से बच गए हैं। इसका तात्कालिक प्रभाव यह है कि भारत समेत उनकी आक्रमक नीतियों का अनुमोदन कर दिया गया है। इसका यह मतलब भी हो सकता है कि चिनफिंग सर्दियों के इस मौसम में भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई भी शुरू कर सकते हैं।
कोविड 19 महामारी फैलाने की तोहमत झेल रहे चीन को अब आने वाले वक्त की मुश्किलों का अंदाजा हो गया है। दुनिया में बढ़ रहे विरोध के मद्देनजर राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को कहा, चीन अब पहले जैसी विकास की गति कायम नहीं रख सकता। अब निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था के मॉडल को बदलना होगा। अब माल की स्वदेशी खपत बढ़ानी होगी। स्वदेशी मांग और आपूर्ति ही आने वाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार होगी। राष्ट्रीय और औद्योगिक सुरक्षा को कायम रखने के लिए विश्वसनीय घरेलू उत्पादन और आपूर्ति व्यवस्था विकसित करनी होगी।
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन के समापन सत्र में 14 वीं पंचवर्षीय योजना (2021 से 2025) के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है। यह योजना 2035 के लिए निर्धारित आर्थिक और सामाजिक विकास तथा अन्य बड़े उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अब अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने का फैसला किया गया है। हाल के महीनों में निर्यात में आई कमी और चीन के खिलाफ दुनिया में बनते माहौल के मद्देनजर अब घरेलू बाजार पर आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके लिए बाजार में माल की खपत बढ़ाई जाएगी जिसके चलते उत्पादन और आपूर्ति स्वत: बढ़ेगी।