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चीन में खतरे में इस्लाम, धार्मिक शिक्षा पर लगी रोक; डर के साए में मुस्लिम!

इन समुदायों को चेतावनी दी कि वे नाबालिगों को कुरान पढ़ने या धार्मिक गतिविधियों के लिए मस्जिदों में जाने का न समर्थन करेंगे और न अनुमति देंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 12:44 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 01:30 PM (IST)
चीन में खतरे में इस्लाम, धार्मिक शिक्षा पर लगी रोक; डर के साए में मुस्लिम!
चीन में खतरे में इस्लाम, धार्मिक शिक्षा पर लगी रोक; डर के साए में मुस्लिम!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दुनियाभर में इस्लामी आतंक के कहर से सबक सीखते हुए चीन इससे अपनी तरह से निपटने की कोशिश कर रहा है। वह अपने मुस्लिम बाहुल्य प्रांतों में बहुत सख्ती से पेश आ रहा है। उसके इस कदम से उन इलाकों के लोगों की जिंदगी दूभर हो गई है। छोटा मक्का कहे जाने वाले पश्चिमी चीन के मुस्लिम बाहुल्य प्रांत लिंक्शिया में सब पहले जैसा नहीं है।

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अब यहां पहले की तरह बच्चे खेलते-कूदते हुए अपने मदरसों और नमाज के लिए नहीं जाते। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने यहां के 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से मना किया है। यहां के हुइ मुस्लिम समुदाय के लिए अपनी धार्मिक मान्यताओं का पालन करना मुश्किल होता जा रहा है। चीन के अन्य मुस्लिम बहुल प्रांत के लोगों को भी डर सता रहा है। उनका मानना है कि इस मनमाने रवैए से उनकी धार्मिक पहचान खतरे में आ जाएगी।

धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंध
- जिस मस्जिद में एक हजार से ज्यादा बच्चे कुरान की बारीकियां सीखने के लिए सर्दियों और गर्मियों की छुट्टियों में आया करते थे, अब उस मस्जिद में बच्चों का प्रवेश ही रोक दिया गया है।
- अभिभावकों को समझाया गया है कि कुरान की पढ़ाई पर इसलिए रोक लगाई गई है ताकि बच्चे धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम पर ध्यान दे सकें।
- शिंजियांग प्रांत में सरकार कड़े इरादों के साथ धार्मिक उन्माद और अलगाववाद के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
- यहां के रहने वाले उइगुर समुदाय के लोगों को शिक्षा शिविरों में डाल दिया गया है जहां उन्हें कुरान रखने या दाढ़ी बढ़ाने की भी इजाजत नहीं है।
- अब लिंक्शिया प्रांत में स्थानीय प्रशासन ने उन छात्रों की संख्या भी कम कर दी है जिन्हें 16 साल से अधिक उम्र के चलते मस्जिदों में पढ़ने की अनुमति मिली हुई है।
- नए इमामों के लिए प्रमाणपत्र हासिल करने की प्रक्रिया को भी सीमित कर दिया है।

नागरिकों को चेतावनी

जनवरी में यहां के स्थानीय अधिकारियों ने इन समुदायों को चेतावनी दी कि वे नाबालिगों को कुरान पढ़ने या धार्मिक गतिविधियों के लिए मस्जिदों में जाने का न समर्थन करेंगे और न अनुमति देंगे। और न ही उन्हें धार्मिक मान्यताओं को मानने के लिए मजबूर करेंगे।

नमाज के बुलावे पर रोक

यहां की मस्जिदों को राष्ट्रीय झंडा लगाने की हिदायत दी गई है। साथ ही ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए नमाज के लिए बुलावा देने से भी मना किया गया है। पड़ोसी प्रांत की सभी 355 मस्जिदों से लाउड स्पीकरों को हटा दिया गया है।

गुजरे जमाने की तरफ
यहां रहने वाले मुस्लिमों को लगता है कि चीन फिर से पिछड़ रहा है। यहां वैसा ही माहौल बनता जा रहा है जैसा 1966 में धार्मिक- सांस्कृतिक क्रांति के समय बना था जब मस्जिदों को ढहा दिया गया था या फिर गधों के रखने की जगह में तब्दील कर दिया गया था।

डर के साए में मुस्लिम
सरकार की बात न मानने वालों के लिए सख्त दंड का प्रावधान है। लोगों को डर है कि सरकार अपने मसूंबों को पूरा करने के लिए बच्चों को हथियार बना रही है। इससे वह सुनिश्चित करना चाहती है कि मुस्लिम परंपराएं खत्म हो जाएं और सैद्धांतिक कामकाज पर पूरी तरह सरकार का कब्जा हो जाए। यदि ऐसा ही चलता रहा तो इन संप्रदायों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।  


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