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चीन की BRI परियोजना पर कोरोना की तगड़ी मार, कई देश ने लगाई रियायत देने की गुहार

चाइना मार्निग पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना के कारण चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड के चीन के इतर दूसरे देशों में चल रहे सभी प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2020 09:32 PM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2020 09:32 PM (IST)
चीन की BRI परियोजना पर कोरोना की तगड़ी मार, कई देश ने लगाई रियायत देने की गुहार
चीन की BRI परियोजना पर कोरोना की तगड़ी मार, कई देश ने लगाई रियायत देने की गुहार

बीजिंग, पीटीआइ। कोरोना महामारी के कारण चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड के चीन के इतर दूसरे देशों में चल रहे सभी प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के आधीन कर काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मामलों के विभाग के महानिदेशक वांग जियाओलांग ने कहा कि एशिया, अफ्रीका और यूरोप में व्यापारिक गतिविधियों को रफ्तार देने के मकसद से शुरू की गई बेल्ट एंड रोड परियोजना का करीब बीस फीसद हिस्सा बहुत गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।

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करीब 40 फीसद हिस्सा बुरी तरह से और 30 से 40 फीसद सामान्य रूप से प्रभावित हुआ है। यह जानकारी हांगकांग से प्रकाशित समाचार पत्र चाइना मार्निग पोस्ट ने वांग जियाओलांग के हवाले से दी है। चीन के बीआरआइ प्रोजेक्ट की शुरुआत शी चिनफिंग ने 2013 में की थी। इस महात्वकांक्षी परियोजना के जरिये एशिया, मध्य एशिया, अफ्रीका, खाड़ी क्षेत्र और यूरोप के देशों को सड़क और समुद्री मार्गों से जोड़ा जाना है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग को जोड़ने वाला सीपीईसी हाईवे इस प्रोजेक्ट का एक सबसे अहम हिस्सा है। चीन ने अपने इस प्रोजेक्ट को गति देने के लिए पिछले सप्ताह संबंधित देशों के साथ वीडियो कांफ्रेस से चर्चा की है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन प्रोजेक्ट का काम रुक है उनमें 60 अरब डालर की लागत से बन रहा चाइना पाकिस्तान इकानमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) भी शामिल है।

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, कंबोडिया और श्रीलंका में चल रहे इस प्रोजेक्ट के काम या तो रोक दिए गए हैं या उनमें विलंब हो गया है। कोरोना के कारण सीपीईसी के अलावा कंबोडिया में सिंहानूकविले स्पेशल इकानमिक जोन और इंडोनेशिया में जकार्ता-बांडुंग हाइ स्पीड रेल मार्ग का काम ठप पड़ गया है। इस तरह बीआरआइ के ज्यादातर प्रोजेक्ट या तो ठप पड़े हैं या उनमें इस समय नाममात्र का काम चल रहा है।

समझा जाता है कि बीआरआइ के जरिए चीन दुनिया में अपनी धमक और बड़ाना चाहता है। चर्चा है कि चीन के कर्ज से दबे कई छोटे इस प्रोजेक्ट को न चाहते हुए भी समर्थन देने को मजबूर हैं। श्रीलंका ने 2017 में अपना हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए चीन को लीज पर कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही दिया था।

अखबार ने आक्सफोर्ड बिजनेस फर्म के हवाले से बताया था कि इसी साल जनवरी में दुनिया भर में बीआरआइ प्रोजेक्ट से जुड़े 3870 अरब डालर के 2,951 निर्माण कार्यों को मंजूरी दी गई थी। लेकिन अब एशिया और अफ्रीका के कई देश इस परियोजना से जुड़े काम कराने में असमर्थता जता रहे क्योंकि वे इस पर लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने की स्थिति में ही नहीं हैं।

नाइजीरिया में 1.5 अरब डालर का एक रेलवे प्रोजेक्ट कोरोना के कारण काफी धीमी गति से चल रहा है। इसी तरह जांबिया, जिंबाब्वे, अल्जीरिया और मिस्र में कोरोना के कारण सभी काम ठप पड़े हैं। इन देशों ने चीन से इस परियोजना के लिए भारी भरकम कर्ज ले रखा है। अब इनमें से कई अफ्रीकी देश चीन से कर्ज माफ करने या ब्याज में रियायत की गुहार लगा रहे हैं।


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