कहां से आया कोरोना...? अब लैंसेट ने भी कहा- पारदर्शी जांच हो, पिछले साल किया था चीन का बचाव
लैब लीक थ्योरी को सिरे से खारिज करने वाली विज्ञान पत्रिका लैंसेट ने यू-टर्न ले लिया है। अब लैंसेट ने 16 अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों के हवाले से ओपन लेटर छापकर वायरस की उत्पत्ति के मामले में पारदर्शी जांच पैरवी की है।
लंदन, आइएएनएस। डेढ़ साल पहले कोरोना वायरस महामारी के मामले में लैब लीक थ्योरी को सिरे से खारिज करने वाली विज्ञान पत्रिका लैंसेट ने यू-टर्न ले लिया है। अब लैंसेट ने 16 अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों के हवाले से ओपन लेटर छापकर वायरस की उत्पत्ति के मामले में पारदर्शी और उद्देश्यपूर्ण विमर्श की पैरवी की है। इसमें कहा गया है, 'हम इस वायरस के फैलने के पीछे षड्यंत्र की बात का खंडन करते हैं। हालांकि इस वायरस की प्राकृतिक उत्पत्ति का सीधा प्रमाण नहीं मिला है और प्रयोगशाला से इसके लीक होने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है।'
चीन की भूमिका पर उठते रहे हैं सवाल
कोरोना महामारी फैलने के कुछ समय बाद से ही विज्ञानियों का एक वर्ग इसे प्राकृतिक मानने से इन्कार करता रहा है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी का कारण बना सार्स-कोवी-2 वायरस चीन की वुहान स्थित वायरोलाजी लैब में बना और वहीं से लीक हुआ है। लैंसेट ने फरवरी, 2020 में एक ओपन लेटर प्रकाशित कर लैब लीक की इस थ्योरी को सिरे से खारिज कर दिया था। इसमें विज्ञानियों के हवाले से दावा किया गया था कि वायरस के प्राकृतिक होने पर कोई संदेह नहीं है।
खूब हुई थी आलोचना
विज्ञान पत्रिका के उस ओपन लेटर से चीन को बहुत मदद मिली थी। हालांकि बाद में पता चला कि उस ओपन लेटर के पीछे मुख्य भूमिका निभाने वाले ब्रिटिश विज्ञानी पीटर डैसजैक असल में अमेरिका कीगैर लाभकारी संस्था इकोहेल्थ अलायंस के प्रेसिडेंट हैं, जिसका चीन से सीधा संबंध है। इस संस्था ने वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में रिसर्च की फंडिंग भी की थी। पीटर डैसजैक का यह सच सामने आने के बाद से उस ओपन लेटर के लिए लैंसेट को बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
गलती सुधारने की कवायद
अब डेढ़ साल बाद लैंसेट ने उससे उलट ओपन लेटर छापकर अपनी गलती को सुधारने की कोशिश की है। आस्ट्रेलिया की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के निकोलई पेट्रोवस्की ने कहा, 'यह भले देखने में छोटा कदम लगे, लेकिन 18 महीने तक खारिज करते-करते अब वायरस की उत्पत्ति की खुली जांच की पैरवी बड़ी बात है। लैंसेट जैसी अग्रणी पत्रिका का ऐसे विज्ञानियों का लेख छापना यह दिखाता है कि हमने इस डेढ़ साल में कितना सफर तय किया। अभी बहुत सफर बाकी है।'
डब्ल्यूएचओ ने भी की है जांच की पैरवी
चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पहली संयुक्त जांच में वायरस के प्रयोगशाला में बने होने की बात को खारिज किया गया था, लेकिन डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एदनम ने कहा था कि लैब लीक समेत सभी अवधारणाएं अस्तित्व में हैं। उन्होंने दोबारा जांच की पैरवी की थी। इसमें अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों की टीम को वुहान लैब में बिना रोक-टोक खुलकर जांच के लिए चीन से अनुमति देने को कहा गया था। हालांकि चीन ने डब्ल्यूएचओ पर दंभी होने का आरोप लगाते हुए दोबारा जांच की अनुमति से इन्कार कर दिया था।