इंटरपोल प्रमुख की गुमशुदगी से चीन की नीयत पर उठे सवाल, जानें- पूरी कहानी
आइए जानते हैं जब मेंग इंटरपोल के अध्यक्ष नियुक्ति हुए उस वक्त चीन के आंतरिक हालात क्या थे, विश्व बिरादरी में इस पद के दुरुपयोग पर किस तरह की शंकाएं उठी थी।
नई दिल्ली [ जागरण स्पेशल ]। इंटरपोल प्रमुख मेंग होंगवेई के अचानक लापता होने से अंतरराष्ट्रीय जगत में खलबली मच गई है। यह दावा किया जा रहा है चीनी हुकूमत ने इंटरपोल के अध्यक्ष को हिरासत में लिया है। पहले मेंग की गुमशुदगी और बाद में चीन सरकार द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद अंतरराष्ट्रीय जगत में कई सवाल खड़े हुए हैं। इसके साथ ही एक बार फिर उन विवादों को हवा मिली है, जो उनकी नियुक्ति के समय शुरू हुई थी। आइए जानते हैं जब मेंग इंटरपोल के अध्यक्ष नियुक्ति हुए उस वक्त चीन के आंतरिक हालात क्या थे, विश्व बिरादरी में इस पद के दुरुपयोग पर किस तरह की शंकाएं उठी थी। दुनिया के कई मुल्कों ने इसका विरोध क्यों किया था। इसके साथ यह भी जानेंगे कि क्या है इंटरपोल।
तीन प्रधान शंकाआें से घिरा इंटरपोल
1- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एजेंडे काे सपोर्ट करना मकसद
इंटरपोल के प्रमुख पद पर मेंग की ताजपोशी उस वक्त हुई जब चीन नें अपने देश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध अभियान तेज कर रखा था। तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग का यह प्रमुख एजेंडा था। इस अभियान के दौरान भ्रष्टाचार में फंसे कई भूतपूर्व चीनी अधिकारियों देश छोड़कर भाग रहे थे। इसमें से कुछ चीन छोड़ने में सफल रहे थे। ऐसे में चीन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती उन संदिग्धों को वापस लाना भी शामिल था। चीन ने इस संबंध में लगभग 100 मोस्ट वांटेड संदिग्धों की सूची बना रखी है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के अंतर्गत 10 लाख अफसरों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें से कई को तो उम्रकैद से लेकर मृत्युदंड तक की सजा दी जा चुकी थी। ऐसे वक्त यह शंका प्रबल हुई थी कि चीनी सरकार भगोड़े अफसरों का पता लगाकर उन्हें वापस बुलाने के लिए इंटरपोल का दुरुपयोग कर सकती थी।
2- चीनी आतंकवाद एवं अलगाववाद में इंटरपोल के उपयाेग पर उठे सवाल
उस वक्त यह भी शंका जाहिर की गई थी कि चीन अपने देश में आतंकवाद, अलगाववाद या धार्मिक उन्माद की ताकतों से निपटने के लिए इंटरपोल का इस्तेमाल कर सकता है। उस वक्त चीन में वीगर मुस्लिमों का मुद्दा गरमाया था। वीगर मुस्लिम पर इंटरपोल के रुख से चीन खफा भी चल रहा था। दरअसल, इंटरपोल ने चीन से निर्वासित वीगर मुस्लीम नेता से वॉन्टेड का अलर्ट वापस ले लिया था, चीन ने इंटरपोल के इस फैसले पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।
चीन का दावा था कि इंटरपोल ने जिस व्यक्ति से वॉन्टेड का अलर्ट वापस लिया है, वो आतंकवादी था। बता दें कि वीगर समुदाय में ज़्यादातर लोग मुस्लिम हैं और ये चीन के पश्चिमी इलाके शिन्जियांग में रहते हैं। एक करोड़ वीगर और बहुसंख्यक हान चीनियों के बीच संघर्ष वर्षों से चल रहा है। इसी संघर्ष में ज़्यादातर वीगर मुसलमान मारे जा चुके हैं। चीन इस अशांति के लिए अलगाववादी इस्लामिक चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराता रहा है। गौरतलब है कि बीसवीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में वीगरों ने थोड़े समय के लिए खुद को आजाद घोषित कर दिया था। इस इलाके पर कम्युनिस्ट चीन ने 1949 में पूरी तरह नियंत्रण हासिल कर लिया था। ऐसे में यह शंका जाहिरए की गई थी कि चीन इस अभियान के खिलाफ इंटरपोट का इस्तेमाल कर सकता है।
3- चीन जासूसी के लिए कर सकता है इंटरपोल का इस्तेमाल
उस वक्त विश्व बिरादरी में यह शंका जाहिर की गई कि मेंग के कार्यकाल में प्रतिद्वंद्वी देशों की जासूसी हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में चीन के गहरे और व्यापक हितों के मद्देनजर यह शंका जायज भी थी। दुनिया में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं ने इस सोच को और हवा दी। यह शंका जाहिर की गई थी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार अपने हितों में अपनी गुप्तचर एजेंसियों के विश्वव्यापी इस्तेमाल कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि 1987 में डेंग सियाओ पिंग ने संवेदनशील उद्योगों में अपनी स्वतंत्रता स्थापित करने के लिए प्लान 863 आरम्भ किया था और उसके बाद के वर्षों के दौरान चीनी हैकरों ने भारत सहित विभिन्न देशों के सैन्य रहस्यों को सफलतापूर्वक हैक कर दिया था। इसके बाद से यह शंका जाहिर की गई कि चीन अपनी इस स्थिति का इस्तेमाल अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत समेत तमाम मुल्कों के लिए कर सकता है। इस हालात में भारत में अपने सुरक्षा प्रबंध मजबूत करने की जरूरत महसूस की गई थी, क्योंकि भारत के सैन्य एवं सुरक्षा सम्बन्धी रहस्य चीन सरकार अपने साथी पाकिस्तान को दे सकती है।
क्या है इंटरपोल
इंटरपोल का पूरा नाम अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संस्था (इंटरनेशनल क्राइम पुलिस आरर्गेनाइजेशन) है। इसकी स्थापना 1914 में हुई थी। इसका मुख्यालय फ्रांस के ल्योन शहर में है। इंटरपोल 190 सदस्यों के साथ संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इंटरपोल का रेड नोटिस वांछित व्यक्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय अलर्ट होता है। हालांकि, यह अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वॉरंट नहीं होता है। दरअसल, 18वीं शताब्दी में जेरेमी बोंथम नामक अंग्रेज दार्शनिक ने ‘पैनोपटिकोन’ के नाम से एक ऐसी जेल की अवधारणा पेश की थी, जिसके अंतर्गत एक ही वॉचमैन पूरी जेल की निगरानी कर सके। इसके बाद इंटरपोल जैसी संस्था ने साकार रूप धारण किया। इंटरपोल का अध्यक्ष इसकी कार्यकारिणी का प्रमुख होता है, जिसका चुनाव चार वर्ष के लिए जनरल असेंबली करती है।
मेंग चीन में संभाल चुके हैं कई अहम पद
पूर्वोत्तर चीन के हार्बिन शहर में जन्मे 64 वर्षीय मेंग नवंबर, 2016 से इंटरपोल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। इस पद पर उनका कार्यकाल 2020 तक रहेगा। उन्होंने चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी की। वह चीन के जन सुरक्षा मामलों के उपमंत्री भी रह चुके हैं। वह चीन के तटरक्षक बल के निदेशक का पदभार भी संभाल चुके हैं। इसके पहले उन्हें महासागर प्रशासन का उपनिदेशक नियुक्त किया गया था।