अगले माह चीन दौरे पर जाएगा सैन्य दल, एलएसी पर शांति कायम करना है लक्ष्य
पूर्वी कमान के कमांडिग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा के नेतृत्व में अगले माह चीन दौरे पर भारतीय सेना का दल जाने वाला है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। डोकलाम विवाद के बाद पहली बार भारतीय सैन्य दल का चीन की आधिकारिक यात्रा पर जाना तय हुआ है। तीन सदस्यीय इस सैन्य दल का नेतृत्व सेना की पूर्वी कमान के कमांडिग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा करेंगे। पूर्वी कमान के अंतर्गत ही सिक्किम का डोकलाम इलाका आता है जहां पर 2017 में 73 दिनों के लिए दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। बता दें कि अगस्त महीने के दूसरे हफ्ते में ये प्रतिनिधिमंडल चीन जाएगा।
लक्ष्य- सीमा पर शांति कायम करना
लेफ्टिनेंट जनरल अभय कृष्णा के अलावा जो दो अधिकारी चीन की यात्रा पर जा रहे हैं, उनमें से एक उत्तरी कमान से हैं और दूसरे दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय से हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य एलएसी यानि सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच समन्वय बिठाना और शांति कायम करना है। उत्तरी कमान के अंतर्गत लेह-लद्दाख का वो इलाका आता है जो चीन से सटा हुआ है। बता दें कि इस दौरे से पहले साल 2015 में उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा चीन के दौरे पर गए थे।
कम खर्च का निर्देश
सेना मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के दिशानिर्देश के बाद चीन जाने वाले इस प्रतिनिधिमंडल को छोटा रखा गया है। क्योंकि हाल ही में जनरल बिपिन रावत ने सेना के अधिकारियों को अपनी विदेश यात्राओं के दौरान कम से कम खर्च करने का निर्देश दिया था। यही वजह है कि इस प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ तीन सैन्य अधिकारी ही रखे गए हैं। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही चीन का एक बड़ा सैन्य प्रतिनिधिमंडल भारत की यात्रा पर आया था। चीनी सेना पीएलए के इस दल में 10 सदस्य थे।
दोनों देशों के सैन्य अधिकारी करेंगे बात
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच वुहान में तय हुआ था कि बेहतर रिश्तों के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारी एक-दूसरे से बात करेंगे। बता दें कि हर साल की तरह इस साल भी दोनों देशों के बीच हैंड इन हैंड मिलिट्री अभ्यास प्रस्तावित है, जो डोकलाम विवाद के बाद स्थगित हो गया था।
समुद्री सुरक्षा सहयोग पर दूसरी बार वार्ता
यह वार्ता हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र के मद्देनजर हो रही है। इसी क्षेत्र में आने वाले दक्षिण चीन सागर और पूर्व चीन सागर पर अधिकार को लेकर चीन लगातार दम भर रहा है। हाल ही में सिंगापुर में हुए सांगरीला डायलॉग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समुद्र में आवागमन के अधिकार पर चर्चा की थी और कहा था कि इस पर किसी को एकाधिकार की मंशा नहीं पालनी चाहिए। यह स्पष्ट तौर पर चीन को भारत का संदेश था जो दक्षिण चीन सागर पर कब्जे के लिए पिछले कई वर्षों से प्रयास कर रहा है। इसी दौर में भारत और चीन के बीच समुद्री सुरक्षा में सहयोग के लिए दूसरी बार वार्ता कर रहे हैं। इससे पहले 2016 में यह द्विपक्षीय वार्ता नई दिल्ली में हुई थी। डोकलाम विवाद के चलते 2017 में यह वार्ता नहीं हो पाई थी।