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Masood Azhar: भारत ने आतंकी मसूद अजहर पर चीन को फिर दिए सबूत

MEA Vijay Gokhale china Visit विदेश सचीव विजय गोखले ने चीन में आतंकी मसहूद अजहर को आतंकी घोषित करने का मुद्दा उठाया है।

By Nazneen AhmedEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 05:14 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 05:14 PM (IST)
Masood Azhar: भारत ने आतंकी मसूद अजहर पर चीन को फिर दिए सबूत
Masood Azhar: भारत ने आतंकी मसूद अजहर पर चीन को फिर दिए सबूत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान में रह कर भारत में आतंकी गतिविधियां चलाने वाले आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को लेकर भारत ने एक बार फिर चीन से दो टूक बात की है। चीन के दौरे पर गये विदेश सचिव विजय गोखले ने वहां के विदेश मंत्री वांग यी समेत कई आला अधिकारियों से मुलाकात की और उन सभी को जैश के कारनामों के सबूत के बारे में बताये। वैसे इस तरह के सबूत भारत पहले भी चीन व कुछ अन्य देशों को सौंप चुका है लेकिन पहली बार चीन में जा कर वहां के आला अधिकारियों को मसूद अजहर को घेरने की कोशिश की है।

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इसके बावजूद इस बात की गुंजाइश कम ही है कि अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध लगाने को लेकर चीन के रवैये में कुछ बदलाव आएगा।गोखले की चीन यात्रा के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि, ''हमने चीन के साथ जैश ए मोहम्मद व इसके मुखिया मसूद अजहर के बारे में सारे सबूत साझा किये हैं। अब यह संयुक्त राष्ट्र की 1267 समिति और अन्य आधिकारिक देशों को फैसला करना है कि उन्हें अजहर को प्रतिबंधित सूची में शामिल करने को लेकर क्या करना है। भारत इस बात की हरसंभव कोशिश करता रहेगा कि जो आतंकी हमारे नागरिकों पर हमला करते हैं उन पर लगाम लगाया जा सके।''

इस बयान का यह मतलब भी निकाला जा रहा है कि चीन ने मसूद अजहर को प्रतिबंधित सूची में शामिल करने को लेकर कोई आश्वासन नहीं दिया है। गोखले ने चीन के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के बाद कहा कि, दोनो पक्ष मसूद अजहर के मुद्दे पर सहमति विकसित करने के लिए बातचीत जारी रहेंगे। गोखले ने कहा कि, ''वुहान में दोनो देशों के शीर्ष नेताओं के बीच हुई सहमति के मुताबिक हम विभिन्न मुद्दों पर भरोसा बनाने की कोशिश जारी रखेंगे और यह काम इस तरह से किया जाएगा कि एक दूसरे की संवेदनशीलता का भी ख्याल रखा जाए।''गोखले को रविवार को ही बीजिंग पहुंचे हैं।

वांग यी के साथ उनकी मुलाकात में द्विपक्षीय मुद्दों से जुड़े अन्य सभी पहलुओं पर भी चर्चा हुई है। इसमें चीन की बेल्ट व रोड इनिसिएटिव (बीआरआइ) का मुद्दा भी शामिल है। चीन बीआरआइ पर कुछ ही दिनों बाद दूसरी अंतरराष्ट्रीय बैठक आयोजित करने जा रहा है और भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि वह इसमें हिस्सा नहीं लेगा। भारत बीआरआइ के चीन पाकिस्तान आर्थिक कारीडोर (सीपीईसी) के गुलाम कश्मीर के एक हिस्से से गुजरने को लेकर लगातार आपत्ति जताता रहा है कि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन है।

वुहान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात के बाद भारत व चीन के द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव कम हुआ है लेकिन अजहर मसूद और सीपीईसी का मुद्दा दो सबसे बड़ी अड़चनें बनी हुई हैं। वैसे यह भी उल्ल्खनीय तथ्य है कि दोनो देशों के बीच लगातार विमर्श व शीर्ष स्तर पर मुलाकातों का सिलसिला जारी रखा गया है।वांग यी ने इस बात की स्वीकार किया है कि भारत सीपीईसी पर अलग मत रखता है लेकिन उनका यह भी कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ आर्थिक है।

यह किसी देश के संप्रभुता या दो देशों के बीच किसी भौगोलिक विवाद से जुड़ा हुआ नहीं है। हाल ही में उन्होंने यह भी कहा था कि चीन सीपीईसी पर भारत के विचार को अपने द्विपक्षीय रिश्तों के बीच में आने नहीं देगा। उन्होंने यह भी कहा था कि इस वर्ष के अंत तक दोनो देशों के बीच शीर्ष स्तर पर वुहान जैसी एक और बैठक होने की उम्मीद है।


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