चीन में जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट से बढ़ रहीं मुश्किलें, कई क्षेत्रों पर पड़ेगा प्रभाव
वर्षों तक एक बच्चे की नीति पर चलने के कारण आज चीन के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
बीजिंग, प्रेट्र। किसी दौर में जनता को जबरन जनसंख्या नियंत्रण के लिए बाध्य करने और एक बच्चे की नीति पर चलने वाला चीन अब गिरती वृद्धि दर से परेशान है। 2016 में दो बच्चों की नीति अपनाने के बाद भी यहां जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट का दौर थम नहीं रहा है। 2018 में चीन में 1.53 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ। 2017 के मुकाबले इसमें 20 लाख की कमी आई।
विशेषज्ञों का मानना है कि जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा। यहां बच्चा पैदा करने की उम्र की महिलाओं की संख्या में लगातार कमी आ रही है। दूसरी ओर महंगाई से निपटने और बेहतर जीवनशैली की इच्छा में लोग बच्चे पैदा करने से बच रहे हैं। 2018 में जन्म दर प्रति लाख पर 1,094 रही। 2017 में दर प्रति लाख पर 1,243 थी।
चीन ने 2016 की शुरुआत में दो बच्चों की नीति अपनाई थी। उस साल देश में 1.79 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ। वर्ष 2000 के बाद से यह सर्वाधिक संख्या थी। इस रुझान से अधिकारियों में उत्साह बना था, लेकिन अगले साल ही इसमें गिरावट आ गई। 2017 में 1.72 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ। 2018 में भी गिरावट का सिलसिला बरकरार रहा। चीन की आबादी इस समय 139.5 करोड़ पर पहुंच चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यही स्थिति बनी रही तो 2030 से चीन में आबादी घटने का क्रम शुरू हो जाएगा। लंबे समय तक एक बच्चे की नीति के कारण महिलाओं और पुरुषों के अनुपात में भी बदलाव हो रहा है।
सामने आ रही हैं कई मुश्किलें
वर्षों तक एक बच्चे की नीति पर चलने के कारण आज चीन के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। इस समय चीन में 24.9 करोड़ लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा हो चुकी है। यह कुल आबादी के 17.9 फीसद के बराबर है। हर साल करीब 53 लाख लोग इस सीमा में आ रहे हैं। जन्म दर में गिरावट का दौर बना रहा तो बुजुर्गों का अनुपात और तेजी से बढ़ेगा।
निसंदेह ऐसा होने से कार्यशील उम्र के लोगों का अनुपात कम होगा, जिसका दुष्प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान हालात से निपटने के लिए सरकार को जन्म नियंत्रण से जुड़ी हर नीति को खत्म कर देना चाहिए।