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तालिबान को मान्यता दिलाने में जुटे चीन और पाक को विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

हांगकांग के साउथ चाइना मार्निग पोस्ट के एक लेख में कुछ पाकिस्तानी विश्लेषकों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान अक्सर कहता रहा है कि अफगानिस्तान में उसका कोई पसंदीदा सहयोगी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानी सरकार तालिबान की वापसी से सहज नजर आ रही है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 11:38 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 05:41 AM (IST)
तालिबान को मान्यता दिलाने में जुटे चीन और पाक को विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान

बीजिंग, एजेंसी। चीन और पाकिस्तान की अफगानिस्तान में तालिबान शासन को वैश्विक मान्यता दिलाने की रणनीति को लेकर विशेषज्ञों ने दोनों देशों को दीर्घकालिक नुकसान की चेतावनी दी है। 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को लेकर दूसरे देशों के साथ संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया है।

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दूसरी ओर तालिबान की वापसी पर चिंता बनी हुई है। इसके उदय से अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी समूह फिर से सिर उठा सकते हैं। हांगकांग के साउथ चाइना मार्निग पोस्ट के एक लेख में कुछ पाकिस्तानी विश्लेषकों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान अक्सर कहता रहा है कि अफगानिस्तान में उसका कोई पसंदीदा सहयोगी नहीं है। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तानी सरकार तालिबान की वापसी से सहज नजर आ रही है। काबुल पर तालिबान के कब्जे के कुछ ही घंटों के बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने कहा कि अफगान लोगों ने पश्चिम की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया।

तालिबान के साथ सामूहिक राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए पैरवी कर रहा पाकिस्तान

लेख में कहा गया है, पाकिस्तान खास तौर पर चीन और रूस के करीब माने जाने वाले अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तालिबान के साथ सामूहिक राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए पैरवी कर रहा है। वह अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन सुनिश्चित करने, आतंकी हमलों को रोकने और महिलाओं को शिक्षा तथा रोजगार की अनुमति देने के वादे पर तालिबान के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है।

अफगानिस्‍तान में भारत के असर को कम करने में जुटा पाकिस्तान

वहीं, दूसरी ओर अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के हवाले से सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान अपने रणनीतिक फायदे के लिए अफगानिस्तान के गृह युद्ध का इस्तेमाल कर रहा है। साथ वह तालिबान शासन में अपनी पहुंच का इस्तेमाल अफगानिस्तान पर भारत के अच्छे प्रभाव को खत्म करने के लिए कर रहा है।


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