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टूटने नहीं दिया हौसला, दिव्‍यांग एथलीट जिम में देते हैं ट्रेनिंग

चीन के जिन्‍हुआ सिटी स्‍थित अपने जिम में दोनों हाथों से लाचार मिनचेंग प्रशिक्षुओं को देते हैं उचित ट्रेनिंग।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 04:31 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 04:48 PM (IST)
टूटने नहीं दिया हौसला, दिव्‍यांग एथलीट जिम में देते हैं ट्रेनिंग
टूटने नहीं दिया हौसला, दिव्‍यांग एथलीट जिम में देते हैं ट्रेनिंग

बीजिंग (जेएनएन)। 'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।' इन पंक्‍तियों को चरितार्थ कर रहे हैं चीन के झेजिंयांग में रहने वाले नि मिनचेंग। जी हां, मात्र दस साल की उम्र में उनके दोनों हाथ छिन गए थे। बावजूद इसके उन्‍होंने अपने हौसले को टूटने नहीं दिया और सफल एथलीट बनकर इसे साबित दिया कि पंखों से कुछ नहीं होता सपनों में जान और हौसलों में उड़ान होना चाहिए।

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शिन्‍हुआ न्‍यूज के अनुसार,मिनचेंग चीन के जिन्‍हुआ सिटी में अपना जिम चलाते हैं। जिम चलाने का मतलब ये नहीं कि बस कमाई का साधन है बल्‍कि इंस्‍ट्रक्‍टर के तौर पर वे स्‍वयं प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग देते हैं। दिव्‍यांग मिनचेंग दोनों हाथों के बगैर अपना सारा काम स्‍वयं करते हैं, न कि किसी की मदद लेते हैं।

मिनचेंग की तरह अनगिनत एथलीट हैं जिन्‍होंने विषम परिस्‍थितियों व तमाम बाधाओं को पार कर इस तरह का मिसाल कायम किया है। इन दिव्‍यांग एथलीट का मानना है कि जैसा वे सोचते हैं उससे कहीं अधिक ताकतवर हैं। इनमें से कुछ एथलीट दिव्‍यांग ही पैदा हुए कुछ हादसों का शिकार होने के बाद इस अवस्‍था में पहुंच गए लेकिन इन सब दिव्‍यांग एथलीटों में एक बात सामान्‍य है कि इन्‍होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया और आत्‍मविश्‍वास से लबरेज मंजिल को हासिल कर के ही दम लिया।

हाल में ही भारत के विभिन्‍न राज्‍यों के चार दिव्‍यांगों ने 36 किलोमीटर लंबा इंग्लिश चैनल 12 घंटे 26 मिनट में पार करने का रिकॉर्ड बनाया। इन चार तैराकों की टीम में मध्यप्रदेश के सत्येंद्र सिंह लोहिया, राजस्थान के जगदीशचंद्र तैली, महाराष्ट्र के चेतन राउत और बंगाल के रिमो शाह शामिल हैं।

दिव्‍यांग एथलीटों की सूची काफी लंबी है। कई नाम हैं जिन्‍होंने रिकॉर्ड कायम किया हुआ है। उदाहरण के लिए कनाडाई बॉक्‍सर बाक्‍सर हंबी का जन्‍म से ही एक हाथ नहीं था लेकिन उन्‍होंने कभी हार माना ही नहीं और 17 साल की उम्र में ही बॉक्‍सिंग शुरू कर दी। मिशिगन के बेसबॉल खिलाड़ी जिम एबॉट बगैर दाएं हाथ के ही पैदा हुए। दिव्‍यांगता के बावजूद 1988 में उन्‍होंने समर ओलंपिक्‍स में गोल्‍ड मेडल जीता।


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