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कोलेस्ट्रॉल सिस्टम पर कब्जा कर शरीर में फैल सकता है कोरोना का संक्रमण, हैरान करने वाली है यह रिपोर्ट

नेचर मेटाबोलिज्म पत्रिका में छपे अध्ययन के अनुसार कोलेस्ट्रॉल मेटाबोलिज्म और कोविड-19 के बीच एक मॉलीक्यूलर जुड़ाव की पहचान की गई है। चीन में एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने पाया कि सार्स-कोव-2 वायरस मानव कोशिकाओं पर मौजूद एक रिसेप्टर से जुड़ जाता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 05:14 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 05:14 PM (IST)
कोलेस्ट्रॉल सिस्टम पर कब्जा कर शरीर में फैल सकता है कोरोना का संक्रमण, हैरान करने वाली है यह रिपोर्ट
वायरस कोशिकाओं के कोलेस्ट्रॉल तंत्र को नियंत्रित कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है

बीजिंग, पीटीआइ। शरीर में कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसमें पाया गया है कि कोविड-19 की वजह बनने वाला सार्स-कोव-2 वायरस हमारी कोशिकाओं (Cells) के आंतरिक कोलेस्ट्रॉल प्रोसेसिंग सिस्टम पर भी कब्जा कर सकता है। इसकी मदद से यह घातक वायरस शरीर में फैल सकता है। अध्ययन के इन नतीजों से इस वायरस के खिलाफ संभावित उपचार में नए लक्ष्यों को साधा जा सकता है।

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सार्स-कोव-2 वायरस मानव कोशिकाओं पर मौजूद एक रिसेप्टर से होता है जुड़ा

नेचर मेटाबोलिज्म पत्रिका में छपे अध्ययन के अनुसार, कोलेस्ट्रॉल मेटाबोलिज्म और कोविड-19 के बीच एक मॉलीक्यूलर जुड़ाव की पहचान की गई है। चीन में एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने पाया कि सार्स-कोव-2 वायरस मानव कोशिकाओं पर मौजूद एक रिसेप्टर से जुड़ जाता है। ये कोशिकाएं आमतौर पर एचडीएल (हाई डेंसिटी लेपोप्रोटीन) कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी होती हैं। इसे गुड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है।

शोधकर्ताओं ने जब इस कोलेस्ट्रॉल को बाधित कर दिया तो वायरस कोशिकाओं से जुड़ने में सक्षम नहीं रह गए। अध्ययन के इस नतीजे से जाहिर होता है कि सार्स-कोव-2 वायरस संक्रमण के प्रसार के लिए कोशिकाओं के आंतरिक कोलेस्ट्रॉल तंत्र का इस्तेमाल कर सकता है।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की मदद से किया जा सकता है बंद

शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह प्रतीत होता है कि वायरस कोशिकाओं के कोलेस्ट्रॉल तंत्र को नियंत्रित कर कोशिकाओं को संक्रमित करता है। लेकिन यह पाया गया है कि जब एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की मदद से इस रास्ते को बंद किया जाता है तो वायरल संक्रमण रुक जाता है। हालांकि यह अध्ययन अभी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन इससे कोरोना से मुकाबले में प्रभावी उपचार के विकास की राह खुल सकती है।  


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