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CoronaVirus : चीन में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश, लोगों के विरोध से बैठ गया इंटरनेट

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से चीन की जनता में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश है। लोगों के विरोध की तीव्रता ऐसी रही कि कई बार तो इंटरनेट सेवा तक बैठ गई।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 07:42 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 11:39 PM (IST)
CoronaVirus : चीन में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश, लोगों के विरोध से बैठ गया इंटरनेट
CoronaVirus : चीन में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश, लोगों के विरोध से बैठ गया इंटरनेट

बीजिंग, रायटर। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से चीन की जनता में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जिन लोगों में सरकार की किसी भी नीति के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं होती थी, वो अब कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को जनता की लड़ाई बताने और उसे जीतने के सरकारी दावे का जमकर विरोध कर रहे हैं। वहीं राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग को कोट करते हुए सरकारी टेलीविजन ने कहा कि इस वायरस से संक्रमित होने और घरों में कैद रहने वालों में गुस्सा बढ़ना स्वाभाविक है। हमें उसे समझना चाहिए और उसकी अनदेखी करनी चाहिए।

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सरकार के दावे से भड़का गुस्‍सा

दरअसल, इसी हफ्ते चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग कोरोना वायरस के केंद्र वुहान शहर का दौरा किया था। उसके बाद ही चीन सरकार ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को जनता की लड़ाई बताने का ताना-बाना बुना और उसे जीत लेने का दावा भी करने लगी। लेकिन मौतों के बढ़ते आंकड़ों के बीच सरकार के इस दावे ने लोगों के गुस्से को और बढ़ा दिया।

सरकार के दुष्‍प्रचार पर टूट पड़े लोग

लोग सरकार के इस दुष्प्रचार के खिलाफ सोशल मीडिया पर टूट पड़े। महामारी बन चुकी इस बीमारी के खिलाफ सबसे पहले आगाह करने वाली वुहान की डॉक्टर एई फेन के आवाज को जहां सरकार ने दबा दिया था, लोग उनके साक्षात्कार को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे। मानव और अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित हो रहे इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में चीन सरकार की लापरवाही पर लोगों का विरोध खुलकर सामने आने लगा है।

सोशल मीडिया पर घमासान

सोशल मीडिया पर निगरानी रखने वाले चीन सरकार के एआइ सॉफ्टवेयर को धोखा देने के लिए वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के आपात विभाग के प्रमुख डॉ. एई के साक्षात्कार को लोगों ने कम से कम पांच भाषाओं में अनुवाद करने के बाद उसे 22 अलग-अलग तरीकों से सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है।

लोगों के विरोध से ठप हो गया इंटरनेट

साक्षात्कार के मजमून के साथ इमोजी, ब्रेल, ओरोकल बोन स्‍क्र‍िप्‍ट, मोर्स कोड, गाने की शीट और यहां तक कि एल्विश भाषा में पेश किया गया है। बीजिंग में फॉरेन स्टडीज यूनिवर्सिटी में मीडिया विभाग में प्रोफेसर झांग जियांग का कहना है कि इस महामारी के दौरान सरकार के दुष्प्रचार के खिलाफ लोगों के विरोध की तीव्रता और पैमाना अभूतपूर्व है। हाल ये है कि कई बार तो इंटरनेट सेवा तक बैठ गई।

एहतियाती कदम उठाने के बजाए लोगों को किया दंडित

चीनी पत्रिका 'पीपुल' के साथ बातचीत में एई ने कहा है कि जब उन्होंने सबसे पहले इस वायरस को लेकर आगाह किया था, तब शुरुआती एहतियाती कदम उठाने और उसे रोकने के उपाय करने के बजाय उन्हें ही अफवाह फैलाने और लोगों में डर पैदा करने के लिए दंडित किया गया। शुरुआती सूचना को दबा दिया गया। अगर उन्हें पता होता कि हालात इस कदर बिगड़ जाएंगे तो वो चुप नहीं बैठती, बल्कि पूरी दुनिया को इसके बारे में बता दी होतीं।

चीन में सेंसरशिप और कड़ी

सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी ली कुआन येव स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर अल्फ्रेड यू कहते हैं कि शी के नेतृत्व में चीन में सेंसरशिप और कठोर हुई है। इस दौर के गुजर जाने के बाद भी वह जारी रहने वाली है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी जानती है कि बहुत लोग नाराज हैं। बचाव के लिए आक्रमण की नीति को अपनाना पार्टी की प्रवृति रही है।

हुबेई प्रांत में नवंबर में ही सामने आया था पहला केस

चीन के हुबेई प्रांत में पिछले साल 17 नवंबर को ही कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आ गया था। लेकिन चीन के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उसे पहचान नहीं सके। नतीजा सबके सामने है हुबेई के वुहान शहर को अपनी चपेट में लेने वाला यह वायरस पूरी दुनिया में फैल चुका है और महामारी का रूप ले चुका है। मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

देखते ही देखते बढ़ती गई मरीजों की संख्‍या

हांगकांग से प्रकाशित होने वाले साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट (एससीएमपी) के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने अब पुष्टि की है कि साल 2019 में कोरोना वायरस के 266 मामले सामने आ गए थे। किसी न किसी समय ये सभी संक्रमित लोग मेडिकल जांच से गुजरे थे। सबसे पहले 17 नवंबर को हुबेई प्रांत के 55 साल के एक व्यक्ति को इस वायरस ने अपनी चपेट में लिया और उसके बाद देखते ही देखते संक्रमितों की संख्या बढ़ती गई।

डॉक्टर ने किया था अलर्ट

रिपोर्टों की मानें तो रोजाना लगभग एक से पांच नए मामले सामने आने लगे थे। 27 दिसंबर को हुबेई के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर झांग चिशियान ने चीन के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को बताया कि यह संक्रमण एक नए कोरोना वायरस की वजह के चलते हो रहा है। उस समय तक इस वायरस से 180 लोग पीडि़त थे। 31 दिसंबर को यह संख्या बढ़कर 266 हो गई थी।


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