चीन की महत्वाकांक्षी 'बेल्ट एंड रोड' परियोजना पर ड्रैगन की बड़ी चिंता, जानें क्या है मामला
चीनी राष्ट्रपति ने अपनी यह चिंता ऐसे समय प्रगट की है जब कई देशों ने चीनी निवेश के कारण अपने ऊपर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं।
By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 11:47 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 02:09 PM (IST)
बीजिंग, एएफपी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शुक्रवार को चीन की 'बेल्ट एंड रोड' (बीआरआइ) परियोजना से जुड़े ऋणों पर अपनी चिंता खुलकर व्यक्त की। चीनी राष्ट्रपति ने अपनी यह चिंता ऐसे समय प्रगट की है, जब कई देशों ने चीनी निवेश के कारण अपने ऊपर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं। इन मुल्कों ने आशंका जताई है कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में चीन इनकी संप्रुभता का उल्लंघन कर सकता है। यही वजह है कि इनमें से कुछ देशों ने अपने यहां बीआरआइ के तहत प्रस्तावित कई प्रोजेक्ट रद भी कर दिए है।
शी ने बीआरआइ परियोजना के शिखर सम्मेलन में कहा कि इस योजना में भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन की 'बेल्ट एंड रोड' परियोजना पारदर्शी एवं आर्थिक रूप से स्थाई होनी चाहिए। बता दें कि वर्ष 2013 में चीन की बहुचर्चित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना की घोषणा की गई थी। उस वक्त दुनिया के 70 मुल्कों ने इसमें शामिल होने की इच्छा जताई थी।
कुछ देश इस परियोजना को लेकर काफी उत्साहित थे। इसका एक अहम कारण इस योजना के लिए चीन द्वारा लाया गया एक बड़ा फंड था। इन देशों को लगा था कि चीन के इस निवेश से उनकी अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। इसके साथ ही इस परियोजना से उनके घरेलू बाजार के लिए फायदेमंद साबित होगा, बल्कि इससे उनके लिए दुनियाभर में आयात-निर्यात करना भी आसान होगा।
लेकिन इस परियोजना के शुरू होने के तीन वर्ष बाद इन देशों के रुख में बड़ा बदलाव आया। कई देशों ने चीनी निवेश के कारण अपने ऊपर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जाहिर की थी। इन देशों ने आशंका जताई है कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में चीन इनकी संप्रुभता का उल्लंघन कर सकता है। यही वजह है कि इनमें से कुछ देशों ने अपने यहां बीआरआइ के तहत प्रस्तावित कई प्रोजेक्ट रद भी कर दिए।
मलेशिया ने आधी की राशि, कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है देश
वर्ष 2014 में चीन और मलेशिया के बीच बीआरआइ के तहत 50 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश के लिए करार हुआ था। लेकिन मलेशिया में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने करीब 25 अरब डॉलर की कटौती कर दिया। चीन की यात्रा पर गए मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि 'मलेशिया इतने ज्यादा कर्ज को चुका पाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए हमने आपके कई प्रोजेक्ट रद किए हैं।'
मलेशिया के बाद बीआरआइ में शामिल म्यांमार ने भी बड़े चीनी निवेश को लेकर पिछले सालों में अपनी चिंताएं जाहिर की है। म्यांमार ने चीन से लंबी वार्ता के बाद चीनी निवेश को 85 फीसद से घटाकर 70 फीसद करवा दिया था। श्रीलंका ने अपने हम्बनटोटा बंदरगाह के निर्माण के लिए चीन से एक अरब डॉलर का कर्ज लिया था, लेकिन यह न चुका पाने की स्थिति में उसे यह बंदरगाह चीनी कंपनी को 99 साल की लीज पर देना पड़ा ।
शी ने बीआरआइ परियोजना के शिखर सम्मेलन में कहा कि इस योजना में भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि चीन की 'बेल्ट एंड रोड' परियोजना पारदर्शी एवं आर्थिक रूप से स्थाई होनी चाहिए। बता दें कि वर्ष 2013 में चीन की बहुचर्चित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना की घोषणा की गई थी। उस वक्त दुनिया के 70 मुल्कों ने इसमें शामिल होने की इच्छा जताई थी।
कुछ देश इस परियोजना को लेकर काफी उत्साहित थे। इसका एक अहम कारण इस योजना के लिए चीन द्वारा लाया गया एक बड़ा फंड था। इन देशों को लगा था कि चीन के इस निवेश से उनकी अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी। इसके साथ ही इस परियोजना से उनके घरेलू बाजार के लिए फायदेमंद साबित होगा, बल्कि इससे उनके लिए दुनियाभर में आयात-निर्यात करना भी आसान होगा।
लेकिन इस परियोजना के शुरू होने के तीन वर्ष बाद इन देशों के रुख में बड़ा बदलाव आया। कई देशों ने चीनी निवेश के कारण अपने ऊपर बढ़ते कर्ज को लेकर चिंता जाहिर की थी। इन देशों ने आशंका जताई है कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में चीन इनकी संप्रुभता का उल्लंघन कर सकता है। यही वजह है कि इनमें से कुछ देशों ने अपने यहां बीआरआइ के तहत प्रस्तावित कई प्रोजेक्ट रद भी कर दिए।
मलेशिया ने आधी की राशि, कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं है देश
वर्ष 2014 में चीन और मलेशिया के बीच बीआरआइ के तहत 50 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश के लिए करार हुआ था। लेकिन मलेशिया में सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार ने करीब 25 अरब डॉलर की कटौती कर दिया। चीन की यात्रा पर गए मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा कि 'मलेशिया इतने ज्यादा कर्ज को चुका पाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए हमने आपके कई प्रोजेक्ट रद किए हैं।'
मलेशिया के बाद बीआरआइ में शामिल म्यांमार ने भी बड़े चीनी निवेश को लेकर पिछले सालों में अपनी चिंताएं जाहिर की है। म्यांमार ने चीन से लंबी वार्ता के बाद चीनी निवेश को 85 फीसद से घटाकर 70 फीसद करवा दिया था। श्रीलंका ने अपने हम्बनटोटा बंदरगाह के निर्माण के लिए चीन से एक अरब डॉलर का कर्ज लिया था, लेकिन यह न चुका पाने की स्थिति में उसे यह बंदरगाह चीनी कंपनी को 99 साल की लीज पर देना पड़ा ।
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