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चीन की अदालत ने जीन एडिटिंग करने वाले वैज्ञानिक को तीन साल के लिए जेल भेजा

चीन की एक अदालत ने जीन एडिटिंग करने वाले वैज्ञानिक को तीन साल के लिए जेल भेज दिया है। इस पर चीन एडिटिंग का आरोप है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 05:31 PM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 05:31 PM (IST)
चीन की अदालत ने जीन एडिटिंग करने वाले वैज्ञानिक को तीन साल के लिए जेल भेजा
चीन की अदालत ने जीन एडिटिंग करने वाले वैज्ञानिक को तीन साल के लिए जेल भेजा

नई दिल्ली, रायटर्स। चीन की एक अदालत ने एक वैज्ञानिक को गैर कानूनी तरीके से डॉक्टरी उपचार करने का दोषी पाया है। इसके कारण उनको तीन साल तक जेल में बंद रखने के आदेश दिए है। इस डॉक्टर पर ये आरोप लगाया गया है कि उनसे पहली बार शिशुओं के जीन को संशोधित किया है। इस आरोप को सही पाए जाने पर उसके खिलाफ ये कार्रवाई की गई है।

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चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, चीन की एक अदालत ने वैज्ञानिक को गैर कानूनी तरीके से डॉक्टरी उपचार करने का दोषी पाया, इसके बाद उनको ये सजा दी गई है। नवंबर 2018 में हे जिआन्की ने दावा किया था कि उन्होंने सीआरआईएसपीआर-केस9 नामक जीन संशोधन तकनीक का इस्तेमाल कर दो जुड़वां लड़कियों के जीन को संशोधित किया था।

हे जिआन्की चीन के शेनजेन प्रांत में सदर्न यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत थे। उन्होंने नवम्बर 2018 में दावा किया था कि वह सीआरआईएसपीआर-केस9 के नाम से जानी जाने वाली जीन एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर दो जुड़वां लड़कियों के जीन को संशोधित करने में कामयाब रहे हैं ताकि उन्हें भविष्य में एड्स वायरस के संक्रमण से बचाया जा सके। इसके बाद उनके शोध और कार्य की नैतिकता को लेकर चीन में और दुनिया के कई हिस्सों में काफी तेज आलोचना हुई।

शिन्हुआ में लिखा गया है कि इस वैज्ञानिक और उनके सहयोगियों ने जाली नैतिक समीक्षा सामग्री बनाई और जीन संशोधन करने के लिए ऐसे एड्स के शिकार पुरुषों को भर्ती किया जो किसी के साथ जोड़े में बंधे थे। अंततः उनके प्रयोगों का नतीजा यह हुआ कि दो महिलाओं ने तीन ऐसे शिशुओं को जन्म दिया जिनके जीन संशोधित थे। अदालत ने अज्ञात चिकित्सा संस्थानों में काम करने वाले झांग रेनली और किन जिनझाओ को भी हे के काम में साथ देने के आरोप में उनसे थोड़ी कम कड़ी सजा सुनाई है।

शिन्हुआ एजेंसी की ओर से कहा गया कि तीनों आरोपियों के पास डॉक्टरी इलाज के लिए उचित प्रमाणन नहीं था, इसके अलावा इन तीनों ने ख्याति और पैसा पाने के लिए जानबूझ कर वैज्ञानिक शोध और डॉक्टरी उपचार में राष्ट्रीय स्तर पर लागू नियमों का उल्लंघन किया। उन्होंने वैज्ञानिक शोध और चिकित्सा संबंधी नैतिकता के लिहाज से सबसे गिरा हुआ काम किया।  


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