Move to Jagran APP

इस फिल्म से बदल गया चीन, अब भारत से लेगा कैंसर की सस्ती दवाई

चीन में रिलीज हुई फिल्म डाईंग टू सर्वाइव का असर ऐसा पड़ा कि चीनी सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा। अब चीनी कैंसर रोगियों को भारत से आने वाली दवाइयों का अभाव नहीं झेलना होगा।

By Srishti VermaEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 02:17 PM (IST)
इस फिल्म से बदल गया चीन, अब भारत से लेगा कैंसर की सस्ती दवाई
इस फिल्म से बदल गया चीन, अब भारत से लेगा कैंसर की सस्ती दवाई

बीजिंग (जेएनएन)। चीन में कैंसर रोगियों को अब दवाइयों का अभाव नहीं झेलना पड़ेगा। भारत से आने वाली जिन कैंसर रोधी दवाइयों के आयात पर चीन ने रोक लगा रखी थी उसे अब मंजूरी दे दी गई है। और ये संभव हो पाया है फिल्म 'डाईंग टू सर्वाइव' की रिलीज के बाद। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें ल्यूकेमिया बीमारी से पीड़ित एक मरीज भारत से कैंसर रोधी दवाइयों को अवैध तरीके से मंगवाता है और जरूरतमंदों को इसकी आपूर्ति करवाता है। चीन सरकार पर इस फिल्म का ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा।

loksabha election banner

आपको बता दें कि दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत भारतीय दवाइयों खासकर कैंसर रोधी दवाइयों के आयात पर चीन में टैरिफ कम करने पर सहमति जताई गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने सोमवार को कहा, हम कैंसर रोधी दवाइयों के ऊपर टैरिफ को कम करने के साथ ही इसके आयात में वृद्धि पर भी विश्वास करते हैं।

भारतीय कंपनियों को अपने यहां निर्माण करने के लिए प्रोत्साहन
चीन ने पिछले सोमवार को भारत से आने वाले कैंसर रोधी दवाइयों पर लगने वाले टैरिफ को हटा दिया था, लेकिन चीन के इस कदम से भारतीय उद्योग पर कोई असर नहीं हुआ क्योकि भारतीय उद्योगों के मुताबिक, चीन में इन दवाइयों को बेचने के लिए सरकारी अस्पतालों से समर्थन और साथ ही लाइसेंस की जरुरत थी। यह स्पष्ट नहीं है कि चीन ने ये नया फैसला पिछले सोमवार के अपने फैसले को आगे बढ़ाते हुए लिया है या यह एक नया फैसला है।

यह संभावना जताई जा रही है कि बीजिंग भारतीय कंपनियों से इन दवाइयों का आयात करने के बजाए उन्हें अपने यहां ही पेटेंट वाली कैंसर रोधी दवाइयों के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करे। चीन ने कुछ भारतीय कंपनियों को अपने यहां इनके निर्माण औऱ उत्पादन संबंधी सुविधाएं देने पर भी बात की है।

चीन में हर साल 43 लाख कैंसर मरीज
हालांकि सोमवार की घोषणा से यह स्पष्ट नहीं है कि चीन कैंसर की दवाओं को बेचने के लिए भारतीय कंपनियों को लाइसेंस देने के लिए सहमत हो गया है या नहीं। बताया जाता है कि भारतीय कंपनियां कानूनी रूप से चीन में अपनी दवाओं की बिक्री नहीं कर सकती हैं क्योंकि इसके लिए उन्हें चीनी सरकार से लाइसेंस की जरुरत होती है।चीनी टेलीविजन के मुताबिक, हर साल करीब 43 लाख लोगों में कैंसर के रोग की पहचान की जाती है। 

क्या है इस फिल्म की कहानी  
ये फिल्म ल्यूकेमिया रोगी लू योंग की असली कहानी पर आधारित है। लू योंग की भूमिका जू ने निभाई है। बता दें कि लू योंग को 'फेक' दवाओं को बेचने के लिए गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि चीन में भारतीय जेनेरिक दवाओं को बेचने की अनुमति नहीं है। लू योंग ने भारतीय दवाओं का गैर कानूनी तरीके से आयात कर उन्हें कैंसर रोगियों को बेचकर उनकी मदद की। साल 2006 से लेकर 2013 तक उन्होंने सैंकड़ों कैंसर मरीजों की मदद की। 2014 में लू पर हुनान प्रांत में जाली दवाओं की बिक्री के आरोप लगे। लेकिन, अगले साल अभियोजन पक्ष ने आरोप वापस ले लिया था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.