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Artificial Sun तैयार करने के करीब पहुंचा चीन, अमेरिका समेत कई दूसरे देश भी इस प्रयोग में लगे

चीन ने अपनी लैब में फ्यूजन के माध्‍यम से एक रिएक्‍टर में 101 सेकेंड के लिए 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस का तापमान हासिल किया है। इसके अलावा 20 सेकेंड के लिए ये तापमान 160 डिग्री सेल्सियस देखा गया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 11:54 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 11:54 AM (IST)
Artificial Sun तैयार करने के करीब पहुंचा चीन, अमेरिका समेत कई दूसरे देश भी इस प्रयोग में लगे
चीन लैब में तैयार कर रहा है आर्टिफिशियल सूरज

बीजिंग (रॉयटर्स)। अंतरिक्ष में लगातार आगे कदम बढ़ा रहा चीन अब जल्‍द ही एक और कामयाबी अपने नाम कर सकता है। दरअसल, चीन एक ऐसा कृत्रिम सूरज बनाने से चंद दूर है तो कमोबेश असल सूरज की ही तरह रोशनी दे सकेगा। चीन इसको लेकर जो प्रयोग कर रहा है कि उसमें उसने अपने एक रिएक्‍टर पर 101 सेकेंड के लिए करीब 120 मिलियन डिग्री सेल्सियस का तापमान देखा है। आपको बता दें कि पिछले परिणाम की तुलना में ये तापमान करीब 5 गुना अधिक रहा है। इस प्रयोग के दौरान जो परिणाम चीन के वैज्ञानिकों को हासिल हुए हैं वो अविश्‍वसनीय बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि परमाणु सलंयन ऊर्जा बनाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। आपको बता दें कि इसी तरह का प्रयोग करने में अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया और यूरोप भी लगा हुआ है।

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शिन्‍हुआ एजेंसी के मुताबिक देश के पूर्वी शहर हेफई में स्थित एक्‍सपेरिमेंटल एडवांस्‍ड सुपरकंडक्टिंग टोकमक (EAST) के प्‍लाज्‍मा फिजिक्‍स लैब के हैड गोंग जियानजू ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस तापमान को 101 सेकेंड के लिए देखा गया है। चीन ये प्रयोग अनहुई प्रांत की राजधानी हेफ्यू में कर रहा है। प्रोजेक्‍ट के डायरेक्‍टर का कहना है कि वैज्ञानिकों को मिली ये कामयाबी ये बताती है कि चीन जल्‍द ही न्‍यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी स्‍टेशन को तैयार करने के करीब पहुंच गया है।

उनका कहना है कि 120 मिलियन डिग्री की अविश्‍वसनीय उपलब्धि के बावजूद 160 मिलियन डिग्री का तापमान पाया गया, जो करीब 20 सेकेंड तक रहा। उनका कहना है कि यदि इस ऊर्जा को स्रोत के तौर पर इस्‍तेमाल करना है तो इसको और अधिक समय तक बनाए रखने की जरूरत होगी। अब गली बार वैज्ञानिक फ्यूजन रिएक्‍श्‍न का इस्‍तेमाल करेंगे जिससे चार गुना अधिक ऊर्जा पैदा की जा सकेगी।

गौरतलब है कि मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और कॉमनवेल्थ फ्यूजन सिस्टम कंपनी भी इसका प्रयोग काफी समय से कर रही है। हाल के प्रयोगों में इसके लिए फ्यूजन और फीजन का प्रयोग किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि इससे न सिर्फ कृत्रिम रोशनी मिल सकेगी बल्कि ये पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित भी होगी। इस पूरी प्रक्रिया को समझना काफी आसानी है।

दरअसल ब्रह्मांड में फ्यूजन एनर्जी का एक सोर्स है। इसी सोर्स का इस्‍तेमाल करते हुए ब्रह्मांड में सूर्य और तारे ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इस प्रक्रिया में जब हल्के कण जबरदस्‍त दबाव और अत्‍यधिक तापमान पर आपस में मिलते हैं तक ये एक भारी पदार्थ का अणु बनाते हैं और काफी ऊर्जा पैदा करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि सितारों में सामान्यत: सबसे हल्का कण हाइड्रोजन होता है जो फ्यूजन के बाद हिलियम बनाता है। वैज्ञानिक ये भी मानते हैं कि जिस प्रयोग को वो कर रहे है सूरज को किसी डब्बे में बंद करने जैसा ही है।


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