अपनी हड़प नीति पर चीन ने बढ़ाया एक और कदम, म्यांमार तक लगाएगा हाईटेक बॉर्डर फेंसिंग, बनाया यह बहाना
चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति पर एक और कदम बढ़ाया है। चीन ने अब दक्षिणी सीमा पर दो हजार किलोमीटर की उच्च तकनीक वाली बॉर्डर बाड़ बनाने की योजना बनाई है जिसका विस्तार म्यांमार तक है। चीन के इस कदम पर म्यांमार ने नाराजगी जताई है...
नई दिल्ली, आइएएनएस। दुनिया के तमाम मुल्कों द्वारा आलोचना किए जाने के बावजूद चीन अपनी विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाने के मूड में नहीं है। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अब दक्षिणी सीमा पर दो हजार किलोमीटर की उच्च तकनीक वाली बॉर्डर बाड़ बनाने की योजना बनाई है जिसका विस्तार म्यांमार तक है। चीन इसके लिए एक अजीब तर्क भी दे रहा है। उसका कहना है कि इस बाड़ से सीमापार से होने वाली अवैध घुसपैठ को रोककर कोरोनो वायरस के फैलने पर अंकुश लगाया जाएगा। चीन के इस कदम पर म्यांमार ने नाराजगी जताई है।
वहीं म्यांमार की सेना ने चीन पर साल 1961 में हुए सीमा समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाया है। म्यांमार की सेना ने उत्तरी शान में कंटीली बाड़ के एकतरफा निर्माण पर आपत्ति जताते हुए इस बारे में चीनी अधिकारियों को लिखा है। म्यांमार की मीडिया के मुताबिक, सेना ने चीन को आपत्ति पत्र भेज दिया है। सेना ने कहा है कि हमने चीन-म्यांमार सीमा (China-Myanmar boundary) पर साल 1961 की संधि के आधार पर आपत्ति जताई है। यही नहीं म्यांमार के विदेश मंत्रालय ने भी इस बारे में चीनी सरकार के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराई है।समाचार एजेंसी आइएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सीमा बाड़ को लेकर इन नए विवाद के चलते अब दोनों देशों ने बातचीत करने की योजना बनाई है।
आइए अब जानते हैं कि असल में 1961 की जिस संधि का हवाला म्यांमार दे रहा है। असल में वह कहती क्या है। इस संधि में कहा गया है कि दोनों तरफ से सीमांकन रेखा के 10 मीटर के भीतर कोई संरचना नहीं बनाई जाएगी लेकिन चीन अब इसे नहीं मान रहा है। वॉइस ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट कहती है कि चीन पहले ही लगभग 660 किलोमीटर की बाड़ पूरी कर चुका है। आलम यह है कि मौजूदा वक्त में चीन अपनी 'हड़प नीति' को अमलीजामा पहनाने के लिए किसी भी संधि को नहीं मान रहा है और पड़ोसी मुल्कों पर अपनी ताकत की धौंस दिखा रहा है...