PoK में 1,124 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट का निर्माण करेगा चीन
गुलाम कश्मीर में चीन पावर प्रोजेक्ट को स्थापित करने की योजना में जुटा है।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। भारत की आपत्तियों के बावजूद चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत बीजिंग 1,124 मेगावाट का पावर प्रोजेक्ट स्थापित करने की योजना बना रहा है। हजारों करोड़ डॉलर की लागत वाले CPEC प्रोजेक्ट के तहत कोहला हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट (Kohala hydropower project) को ऊर्जा मंत्री उमर अयूब (Omar Ayub) की अध्यक्षता में हुई प्राइवेट पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड की 127वीं बैठक में पेश किया गया था।
1,124 मेगावाट का हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, बैठक में बताया गया है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के तहत एक डील तय हुआ। इसमें चीन की थ्री जॉर्ज कॉर्पोरेशन, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अधिकारी और निजी पावर और इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड (पीपीआईबी) की सहमति बनी। जिसके तहत पीओके में 1,124 मेगावाट का हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा।
झेलम के ऊपर होगा निर्माण
कश्मीर में बहने वाली झेलम नदी के ऊपर इस प्रोजेक्ट का निर्माण होगा। इसका उद्देश्य पाकिस्तान के लोगों को पांच अरब से ज्यादा साफ और कम लागत वाली बिजली की यूनिट उपलब्ध करानी है। तीन हजार किलोमीटर लंबे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का मुख्य उद्देश्य चीन और पाकिस्तान को आपस में रेल, सड़क, पाइपलाइन और ऑप्टिकल केबल फाइबर नेटवर्क के जरिए जोड़ना है। ये गलियारा चीन के शिंजियांग और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरहगाह को जोड़ेगा और चीन की अरब सागर तक भी पहुंच बढ़ जाएगी।
पिछले महीने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत की स्थिति एक जैसी और साफ है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र हमेशा से भारत का अभिन्न अंग है, था और रहेगा। भारत ने हमेशा चीन और पाकिस्तान दोनों देशों को इसपर अपना विरोध जताया है। पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष अयूब खान के पोते ऊमर अयूब ने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान की जनता को सस्ती दरों पर बिजली सप्लाई करने की फैसला ले लिया है, इसलिए हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर और कोयले पर आधारित प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी जाएगी।
पिछले माह भारत ने पाकिस्तान द्वारा गिलगित बाल्टिस्तान में बांध निर्माण के लिए मेगा कंट्रैक्ट को लेकर विरोध दर्ज कराया था। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान द्वारा अवैध तौर पर कब्जा किए गए क्षेत्र में इस तरह के प्रोजेक्ट का निर्माण उचित नहीं है।
कर्ज में डूबा पाकिस्तान 60 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 4549 अरब रुपये) के अपने चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना को जारी रखेगा। सीपीईसी प्राधिकार चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) असीम सलीम बाजवा ने बताया, 'इसके रास्ते में कोई राजनीतिक बाधा नहीं है। यह परियोजना पाकिस्तान के भविष्य के साथ-साथ एक ठोस वास्तविकता है और इस पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।'