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चीन ने पहले हाइपरसोनिक विमान का किया सफल परीक्षण, जानिए इसकी खासियत

चीन ने अपने पहले हाइपरसॉनिक विमान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह हाइपरसॉनिक विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है।

By Arti YadavEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 02:32 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 02:39 PM (IST)
चीन ने पहले हाइपरसोनिक विमान का किया सफल परीक्षण, जानिए इसकी खासियत
चीन ने पहले हाइपरसोनिक विमान का किया सफल परीक्षण, जानिए इसकी खासियत

बीजिंग (प्रेट्र)। चीन ने सोमवार को घोषणा की है कि उसने अपने पहले हाइपरसोनिक विमान का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह हाइपरसोनिक विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। ये परमाणु हथियार ले जाने के साथ किसी भी मौजूदा पीढ़ी की मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणालियों (ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स) में प्रवेश कर सकता है। यह विमान अपनी शॉक वेव पर चलता है।

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चीन की एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एरोडायनामिक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि स्टैरी सक्काई-2 जिसे नेशन का पहला हाइपरसोनिक परीक्षक वेवराइडर भी कहा जा रहा है, का पहला उड़ान परीक्षण पिछले सप्ताह चीन के एक अज्ञात परीक्षण क्षेत्र में आयोजित किया गया था। चीन इसे एक बड़ी सफलता बता रहा है।

हाइपरसोनिक विमान को रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया और करीब 10 मिनट बाद हवा में छोड़ा गया। यह खुद उड़ने में सक्षम था और योजना के मुताबिक तय इलाके में लैंड हुआ। इस हाइपरसोनिक विमान को सीएएए ने चाइना ऐरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर डिजाइन किया है। वेवराइडर एक हाइपर्सोनिक विमान है जिसमें एक वेड्ज शेपड फ्यूज़लाज बल के रूप में अपनी उड़ान से उत्पन्न शॉक तरंगों का उपयोग करके अपने सुपरसोनिक लिफ्ट-टू-ड्रैग अनुपात को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि हाइपरसोनिक विमान के सेना में तैनाती से पहले कई और परीक्षण किए जाएंगे।

चीन का यह नया हाइपसोनिक विमान इतना तेज उड़ता है कि यह मौजूदा ऐंटी मिसाइल डिफेंस प्रणालियों के लिए चुनौती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, वेवराइडर को किसी भी रॉकेट से लॉन्च किया जा सकता है। इतना ही नहीं, वेवराइडर परमाणु और पारंपरिक हथियार दोनों ही ले जाने में सक्षम है। विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षण से यह साफ दिखता है कि चीन अब अमेरिका और रूस की तरह खुद को विकसित कर रहा है। बता दें कि चीन ने इस इस साल175 अरब डॉलर का रक्षा बजट पेश किया था। साथ ही वह अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ से बराबरी के लिए डिफेंस रिसर्च और डिवेलपमेंट में काफी खर्च कर रहा है।


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