श्रीलंका-चीन मिलकर करेंगे समुद्री सिल्क रूट का अध्ययन
एमओयू में श्रीलंका के जाफना में संयुक्त उत्खनन और दोनों देशों के बीच व्यापारिक और समुद्री सिल्क रूट के अध्ययन पर विशेष ध्यान रहेगा।
नई दिल्ली, एजेंसी। शंघाई संग्रहालय ने श्रीलंका केंद्रीय सांस्कृतिक निधि के साथ पांच साल के सांस्कृतिक सहयोग कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए हैं। एमओयू में श्रीलंका के जाफना में संयुक्त उत्खनन और दोनों देशों के बीच व्यापारिक और समुद्री सिल्क रूट के अध्ययन पर विशेष ध्यान रहेगा। वहीं दिल्ली में पूर्व श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे ने पीएम मोदी से मुलाकात की।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, संग्रहालय के निरीक्षक यांग झियांग ने बुधवार को बताया कि एक व्यापक सांस्कृतिक विनियम कार्यक्रम के तहत दोनों देशों में करार हुआ है। इसमें पुरातात्विक महत्व के स्थलों की संयुक्त खुदाई, अवशेष संरक्षण और शैक्षिक सहयोग शामिल हैं। दोनों देशों में समझौता उस समय हुआ था जब अगस्त में संग्रहालय की पुरातात्विक टीम 40 दिनों के दौरे पर श्रीलंका के जाफना शहर गई थी। यहां एलापिडी के खंडहर में खुदाई के दौरान ही टीम को उत्तरी सोंग राजवंश (960-1127) से कुछ पहले के चीनी मिट्टी के बर्तन के टुकड़े मिले थे, जिसे चीन से ले जाया गया था।
यांग ने बताया कि , समुद्री सिल्क रूट के बीच श्रीलंका एक महत्वपूर्ण स्थल है। चीनी यात्री झेंग 1405 में पहली बार श्रीलंका आया था। समुद्री सिल्क रूट पर संयुक्त पुरातात्विक शोध पर चीन से बाहर सबसे पहले श्रीलंका में केंद्र बनाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि चीनी यात्री झेंग शंघाई संग्रहालय के विदेशी पुरातात्विक उत्खनन के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। इस संदर्भ में श्रीलंका के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा पत्थर का टुकड़ा उनकी याद दिलाता है।