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चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद पर दिए नरमी के संकेत, जल्‍द तय हो सकता है नतीजा

चीन की ओर से ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं कि भारत के साथ सीमा विवाद पर अगले दौर की वार्ता किसी ठोस निष्कर्ष की ओर बढ़ सकती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 08:03 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 08:03 PM (IST)
चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद पर दिए नरमी के संकेत, जल्‍द तय हो सकता है नतीजा
चीन ने भारत के साथ सीमा विवाद पर दिए नरमी के संकेत, जल्‍द तय हो सकता है नतीजा

 राजीव सचान, शंघाई। इस सप्ताह के शुरू में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच बीजिंग में हुई बातचीत के दौरान भले ही केवल इतना भर रेखांकित किया गया हो कि सीमा विवाद को 2005 में तय संदर्भों  के तहत सुलझाया जाएगा, लेकिन चीन की ओर से ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं कि इस विवाद पर अगले दौर की वार्ता किसी ठोस निष्कर्ष की ओर बढ़ सकती है।

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विवाद का समाधान समाधान चाहते हैं दोनों देश 
इन संकेतों की एक वजह भारत की ओर से इसका उल्लेख प्रमुखता से किया जाना है कि इस विवाद का समाधान करके ही दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को पाटा जा सकता है। इसका आभास भारत-चीन मीडिया फोरम में भागीदारी करने आए भारतीय पत्रकारों के दल ने बीजिंग से लेकर शंघाई में हर उपयुक्त मंच पर प्रमुखता से किया।

इस दल ने चीनी मीडिया से लेकर चीन सरकार के विभिन्न प्रतिनिधियों के समक्ष इस पर भी जोर दिया कि सीमा विवाद को सुलझाने में जरूरत से ज्यादा देर हो रही है और उसके चलते भारतीय जनता अधीर भी हो रही है और आशंकित भी। चीनी अधिकारियों ने जहां सीमा विवाद पर नरमी के संकेत दिए वहीं न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी ) में भारत की सदस्यता पर अपने पुराने रुख को कायम रखा।

दो दशकों से अधिक समय से बातचीत जारी
भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर बीते दो दशकों से अधिक समय से बातचीत जारी है। इस बातचीत के अगले दौर की प्रतीक्षा हो रही है। माना जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के आगामी भारत दौरे के आसपास दोनों पक्ष के प्रतिनिधि सीमा विवाद के अगले दौर की वार्ता के लिए एक-दूसरे के समक्ष होंगे। शी चिनफिंग को वुहान में कायम समझबूझ को आगे बढ़ाने के लिए भारत आना है।

विवाद को लंबा नहीं खींच सकते 
सीमा विवाद में प्रगति के आसार इसलिए भी हैं, क्योंकि चीन को यह आभास हो रहा है कि वह इस तर्क को और अधिक नहीं खींच सकता कि आखिर जब उसने म्यांमार, रूस समेत अन्य देशों के साथ अपने सीमा संबंधी विवाद सुलझा लिए हैं तो वह भारत से जुड़े सीमा विवाद को भी विराम देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत अब चीन की इस प्रतिबद्धता को पूरा होते हुए देखना चाह रहा है।

भारत ने अनुच्छेद 370 पर साफ किया नजरिया 
हालांकि चीन ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर आपत्ति जताई है, लेकिन भारत ने पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर के जरिये और फिर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दुनिया का ध्यान खींचने वाले संबोधन के माध्यम से यह साफ कर दिया है कि वह अपने इस फैसले से टस से मस नहीं होने वाला है। साथ ही चीन को कश्मीर पर चिंता जताने की जरूरत इसलिए नहीं, क्योंकि अनुच्छेद 370 हटाकर किसी नए इलाके पर कोई दावा नहीं किया गया है।

परस्पर संवाद-संपर्क को गति देने की पहल के तहत चीन आया भारतीय पत्रकारों का दल इससे भी अवगत हुआ कि चीनी पक्ष को इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब खोजना मुश्किल हो रहा है कि क्या उसने तब कुछ कहने की जरूरत समझी थी जब पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले वाले कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान की स्थिति में परिवर्तन किया था? इस मुश्किल के बावजूद चीनी पक्ष यही जाहिर कर रहा कि वह पाकिस्तान की तरफदारी करते रहना जारी रखेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके रवैये से यह साफ भी हो रहा है।


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