पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध पर बोला चीन, नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने की दरकार
चीनी विदेश मंत्रालय का दावा है कि भारत और चीन मौजूदा गतिरोध को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए शीर्ष नेतृत्व के बीच बनी सहमति को लागू करने पर सहमत हुए हैं।
बीजिंग, पीटीआइ। चीनी विदेश मंत्रालय (China's Foreign Ministry) ने दावा किया है कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर शांति कायम रखने और मौजूदा गतिरोध को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बनी सहमति को लागू करने पर सहमत हुए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग (Hua Chunying) ने कहा कि एक सहमति यह बनी है कि दोनों पक्षों को अपने शीर्ष नेताओं के बीच सहमति को लागू करने की जरूरत है ताकि गतिरोत को विवाद में बदलने से टाला जा सके।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों का हवाला दे रही थीं जो पूर्व के दो अनौपचारिक शिखर सम्मेलनों के बाद दिए गए थे। दोनों नेताओं ने सेनाएं को सीमा पर शांति और धैर्य बनाए रखते हुए विश्वास बहाली के लिए और कदम उठाए जाने की बात कही थी। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देश सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए काम करेंगे और शांतिपूर्ण माहौल कायम करेंगे। चीन का यह बयान सीमा पर मौजूदा गतिरोध को सुलझाने के लिए बीते दिनों हुई सैन्य अधिकारियों की मैराथन बैठक के दो दिन बाद आया है।
प्रवक्ता हुआ चुनयिंग (Hua Chunying) ने यह भी बताया कि दोनों ही पक्ष कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। छह जून को भारत और चीन के कमांडरों के बीच चुशुल मोल्दो क्षेत्र में बैठक हुई थी और दोनों पक्षों ने इस मसले पर बातचीत की थी। चीनी प्रवक्ता ने यह भी बताया कि सीमा यानी एलएसी पर हालात स्थिर और नियंत्रण में है। दोनों ही पक्ष संबंधित मसले को सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखने पर तैयार हैं। चीन का यह बयान भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान के ठीक एक दिन बाद सामने आया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि भारत और चीन मौजूदा गतिरोध को शांतिपूर्ण सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखने को राजी हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया था कि सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत सौहार्द्रपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई और दोनों ही पक्ष सहमत हैं कि मामले के समाधान से ही दोनों देशों के रिश्तों में मजबूती आएगी। मालूम हो कि उक्त बातचीत में भारतीय सेना ने साफ कर दिया था कि जब तक पूर्व की स्थिति बहाल नहीं की जाती तब तक वह पीछे नहीं हटेगी।