संजीदगी या दिखावा : चीन ने हांगकांग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा बिल की समीक्षा शुरू की
चीन की विधायिका हांगकांग के लिए विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा बिल की समीक्षा कर रही है जिस कानून से अर्धस्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर गंभीर असर पड़ेगा।
बीजिंग, एपी। चीन की विधायिका ने रविवार को हांगकांग के लिए विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा बिल की समीक्षा शुरू की, जिसके बारे में दुनियाभर के आलोचकों का मानना है कि इससे अर्धस्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर गंभीर असर पड़ेगा। चीन की सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने खबर दी है कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने तीन दिन के सत्र के पहले दिन इस विधेयक पर चर्चा शुरू की। चीन का कहना है कि वह इसे लेकर कानून बनाने पर आमादा है। मंगलवार तक इससे संबंधित विधेयक पारित हो जाने की उम्मीद है।
दूसरी ओर अमेरिका का कहना है कि वह जवाबी कार्रवाई करेगा और 1997 में चीनी नियंत्रण में आने के बाद पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश को दी गई अनुकूल व्यापारिक शर्तों को खत्म कर देगा। सीनेट ने गुरुवार को सर्वसम्मति से एक विधेयक को मंजूरी दी। इसमें पुलिस समेत उन कारोबारियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रविधान है, जो हांगकांग की स्वायत्तता को कमजोर करेंगे या शहर के निवासियों की स्वतंत्रता को कम करेंगे। पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के पूर्व प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र के आठ पूर्व विशेष राजनयिकों ने संस्था के महासचिव से अपील की थी कि वह हांगकांग पर विशेष दूत की नियुक्ति करें।
वहीं ब्रिटेन का कहना है कि वह हांगकांग के 78 लाख लोगों में से 30 लाख लोगों को पासपोर्ट देगा। ब्रिटेन के इस कदम से चीन भड़क गया है और उसने इन कदमों को अंदरूनी मामलों में दखल करार दिया है। बीते दिनों हांगकांग के मसले पर ही अमेरिका ने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के पदाधिकारियों को वीजा नहीं देने का फैसला किया था। अमेरिका ने कहा था कि उसने यह कार्रवाई हांगकांग की स्वायत्तता, मौलिक आजादी और मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरोध में की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा था कि चीन ने ब्रिटेन के साथ संयुक्त घोषणापत्र में हांगकांग की व्यापक स्वायतता का सम्मान करने का वादा किया था लेकिन वह उसे लगातार कम करता जा रहा है। लोकतंत्र समर्थकों को गिरफ्तार करने के लिए स्थानीय प्रशासन पर दबाव डालकर और लोकतंत्र समर्थक प्रत्याशियों को अयोग्य करार देकर चीन हांगकांग में मानवाधिकारों और मौलिक आजादी का हनन कर रहा है। पोंपियो ने आरोप लगाया था कि चीन अपारदर्शी परमाणु कार्यक्रम जारी रखे है।