चीन को अखरा अरुणाचल प्रदेश में पीएम मोदी का आना, जताया विरोध
अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानने वाला चीन हमेशा से यहां भारतीय नेता के दौरे पर विरोध जताता रहा है।
बीजिंग (प्रेट्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल दौरे पर चीन का विरोध कोई नई बात नहीं है। इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानने वाले चीन ने कहा कि इस मुद्दे पर वह भारत के साथ राजनयिक विरोध जताएगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं।
अरुणाचल में प्रधानमंत्री मोदी
एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिस अरुणाचल प्रदेश से प्रकाश फैलता है, आने वाले दिनों में यहां ऐसा प्रकाश फैलेगा कि पूरा देश देखेगा। प्रधानमंत्री ने यहां अरुणाचल की राजधानी इटानगर में दोर्जी खांडू राज्य सभागार और राज्य सिविल सचिवालय की बिल्डिंग का उद्घाटन किया, जबकि एटोमो रिबा स्वास्थ्य व आयुर्विज्ञान संस्थान के एजुकेशनल ब्लॉक की आधारशिला भी रखी।
भारत-चीन के बीच 3500 किमी लंबी सीमा
अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं के दौरे का हमेशा चीन की ओर से विरोध होता रहा है और ये हमेशा इस राज्य पर अपना दावा करते हैं। बता दें कि भारत-चीन के बीच कुल 3500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। इन दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की वजह से 1962 में युद्ध हो चुका है। बावजूद इसके सीमा विवाद नहीं सुलझ सका। यही वजह है कि अलग-अलग हिस्सों में अक्सर भारत-चीन के बीच सीमा विवाद उठता रहा है।
चीन का विरोध
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने एक रिपोर्ट के जवाब में कहा, ‘चीन-भारत सीमा पर चीन का सवाल स्पष्ट तरीके से वही है। शिन्हुआ के अनुसार, गेंग ने कहा- ‘चीनी सरकार ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश कहे जाने वाले क्षेत्र को इस तरीके से नहीं लिया और विवादित क्षेत्र में भारतीय नेता के दौरे का विरोध करते हैं।‘ गेंग ने कहा, ‘चीनी पक्ष ने भारत से अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने व इसके उचित नियमों के साथ चलने के साथ ऐसे किसी भी गतिविधि न करने का आग्रह किया है जो सीमा से जुड़े विवादों को बढ़ाए।‘
गेंग ने कहा कि विवादों के उचित रूप से नियंत्रण के लिए चीन और भारत आम सहमति तक पहुंच गए थे, और दोनों पक्ष बातचीत और परामर्श के माध्यम से क्षेत्रीय विवादों को हल करने के लिए काम कर रहे थे।
मैकमोहन लाइन को अवैध मानता है चीन
अवैध मैकमोहन लाइन और पारंपरिक बाउंड्री के बीच स्थित ये तीन इलाके चीनी क्षेत्र के तहत आते हैं। उन्होंने आगे बताया कि 1914 में ब्रिटेन द्वारा मैकमोहन लाइन खींचा गया था जो भारत में क्षेत्रों को लाने के लिए था। उन्होंने भारत से आग्रह किया कि काफी मुश्किल से सुधरे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती प्रदान करे और सीमा वार्ता और द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए सक्षम स्थिति बनाए।