तिब्बतियों पर चीन की क्रूरता, आजीविका पशुधन और आभूषण लूटे, संस्कृति पर भी कुठाराघात, ध्वस्त की बुद्ध की 99 फुट ऊंची प्रतिमा
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने आजादी के हिमायती तिब्बतियों से निपटने के लिए सबसे क्रूर तरीकों को चुना है। जस्ट अर्थ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हर तरीके से तिब्बत की सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने की कोशिश की है।

लहासा, एएनआइ। तिब्बत में चीन का दमन जारी है। हाल के दिनों में तिब्बतियों ने चीनी शासन की प्रत्यक्ष क्रूरता का अनुभव किया है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने आजादी के हिमायती तिब्बतियों से निपटने के लिए सबसे क्रूर तरीकों को चुना है। जस्ट अर्थ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हर तरीके से तिब्बत की सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने की कोशिश की है। चीन के कम्युनिस्टों ने तिब्बत में न केवल अनगिनत अवशेषों को नष्ट किया बल्कि तिब्बती लोगों से उनकी आजीविका छीनने का काम किया है। चीनी कम्यूनिष्टों ने तिब्बती लोगों के पशुधन, आभूषण, उनके वस्त्र और तंबू भी लूट लिए हैं।
जस्ट अर्थ न्यूज (Just Earth News) की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे समय जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से बचने के लिए सख्त लाकडाउन से दो-चार हो रही थी चीन ने तिब्बतियों को प्रताड़ित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। चीन ने तिब्बतियों पर क्रूरता की सारी हदें पार कर दी। चीन की क्रूर नीतियों के चलते लाकडाउन के दौरान कई तिब्बती मठों और स्कूलों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। चीन की दमनात्मक कार्रवाई का ताजा उदाहरण सिचुआन प्रांत (Sichuan Province) के खाम ड्रैकगो (Kham Drakgo) में बुद्ध की 99 फुट ऊंची प्रतिमा का विध्वंस था।
यही नहीं चीन की क्रूर कार्रवाइयों का शिकार ड्रैकगो मठ (Drakgo Monastery) हुआ। इसके पास खड़े 45 विशाल प्रार्थना चक्रों को भी हटा दिया गया है और प्रार्थना झंडों को जला दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बुद्ध की मूर्ति का निर्माण गैरकानूनी नहीं था। इसको स्थानीय अधिकारियों की अनुमति से बनाया गया था लेकिन चीन के उच्च अधिकारियों को मूर्ति का विशाल आकार रास नहीं आया। उन्होंने इसके बारे में अपनी नापसंदगी जाहिर करनी शुरू कर दी थी। हालांकि इस इस मूर्ति से किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं था।
जस्ट अर्थ न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बिना किसी विचार के 12 दिसंबर 2021 को इस प्रतिमा का विध्वंस करने का आदेश दिया। इसके पीछे दलील दी कि मूर्तियों की ऊंचाई प्रतिबंधित है। बुद्ध की मूर्ति को तोड़े जाने के पीछे यह बताया गया एक झूठा कारण था। हालांकि प्रार्थना के पहियों को नष्ट करना पूरी तरह से अप्रासंगिक है। इस घटना से कुछ हफ्ते पहले ड्रैकगो मठ के गादेन नामग्याल मठ (Gaden Namgyal Monastic) के स्कूल को भी इस दावे के तहत ध्वस्त कर दिया गया था। चीनी अधिकारियों का कहना था कि मठ के पास कोई उचित दस्तावेज नहीं था और वे कानून का उल्लंघन कर रहे थे।
Edited By Krishna Bihari Singh