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चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने चांद पर उगाना शुरू किया कपास, ऐसे उगाए जा रहे पौधे

चीन की अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा जारी की गई तस्वीर में कपास के बीज को अंकुरित होते हुए देखा जा सकता है। यह पहली बार हुआ कि चंद्रमा की सतह पर जैविक सामग्री की खेती की गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 09:11 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 09:11 AM (IST)
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने चांद पर उगाना शुरू किया कपास, ऐसे उगाए जा रहे पौधे
चीन की अंतरिक्ष एजेंसी ने चांद पर उगाना शुरू किया कपास, ऐसे उगाए जा रहे पौधे

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चंद्रमा के अनदेखे हिस्से में उतरने वाले चीन के चांग ई 4 अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक वहां पर पौधे उगाने शुरू कर दिए हैं। चीन की अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनएसए) द्वारा मंगलवार को जारी की गई तस्वीर में कपास के बीज को अंकुरित होते हुए देखा जा सकता है। यह पहली बार हुआ कि चंद्रमा की सतह पर जैविक सामग्री की खेती की गई है। चांग ई -4 मिशन के अन्य जैविक पदार्थों में कपास, तिलहन, आलू, अरेबिडोप्सिस, खमीर और फल शामिल हैं। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी का दावा है कि अगले 100 दिनों में और अधिक पौधे उगने की उम्मीद है। इन पौधों पर अध्ययन यान पर विशेष रूप से डिजायन किए गए बायोस्फीयर में किया जा रहा है।

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अंतरिक्ष में नई नहीं खेती
इससे पहले अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर पौधों की खेती कर चुके हैं। चीन के तियांगोंग -2 स्पेस लैब पर चावल और अरेबिडोप्सिस भी उगाए गए थे।

अभियान
सात दिसंबर, 2018 को चीन ने अपने पहले जैविक अनुसंधान मिशन के तहत चांग ई-4 लूनर अंतरिक्ष यान को लांच किया था। चार जनवरी, 2019 को इस यान ने 4 जनवरी को चांद के अनदेखे हिस्स में सफलतापूर्वक उतरकर एक वैश्विक सफलता हासिल की थी।

बड़ी सफलता
वैज्ञानिकों ने कहा है कि चंद्रमा पर कठोर परिस्थितियों में प्रयोग करने के बाद मानव जाति ने पहले पौधे को अंकुरित किया है, जो मनुष्य के पहले चंद्रमा पर जैविक विकास प्रयोग को साकार करता है। अंतरिक्ष में मौजूद यान से धरती पर भेजी गई तस्वीर को देखने से पता चलता है कि कपास का बीज अच्छी तरह से अंकुरित हुआ है। शेष सभी पौधों के बीज जैसे के तैसे हैं।

ऐसे उगाए जा रहे पौधे
सभी पौधे के बीजों को गोलाकार टिन के कंटेनर में रखा गया है। तीन किलो वजनी और सात इंच लंबे इस कंटेनर को दक्षिण-पश्चिम चीन के चोंगकिंग विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने डिजायन किया है। यह इंसुलेट परतों और एक मिनी एयर कंडीशनिंग सिस्टम से सुसज्जित है। 0.8 लीटर वाले इस कंटेनर को एक विशेष रूप से विकसित एल्यूमीनियम मिश्रित धातु से बनाया गया है।

बीजों के साथ-साथ इसमें पानी, मिट्टी, एक पोषक तत्व समाधान, हवा, एक छोटा कैमरा और डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम जैसे उपकरण शामिल हैं। पौधों के बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सूर्य की किरणों के लिए इसमें एक ट्यूब लगाया गया है। जिसके जरिये सूर्य की किरणें इसकेअंदर प्रवेश कर सकेंगी।  


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