वर्तमान में जन्म दर न बदली तो पेंशन और बुढ़ापे की मार से कराहेगा चीन
चाइनीज एकेडमी आफ सोशल साइंसेज के ताजा अध्ययन के मुताबिक अगले 30 साल में चीन की आबादी में 65 साल या उससे अधिक उम्र वालों की हिस्सेदारी 30 फीसद पहुंच जाएगी।
बीजिंग। अपने मानव संसाधन के बूते अब तक दोहरे अंकों में विकास की छलांग लगाने वाले चीन की कुलांच अवरुद्ध हो रही है। बुढ़ाता मानव संसाधन इस रफ्तार का बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है। चूंकि कुल आबादी में साठ साल से अधिक उम्र वाली आबादी का हिस्सा बढ़ रहा है लिहाजा चीनी खजाने पर इनके पेंशन का भार अन्य मदों में होने वाले विकास कार्यों में कटौती की वजह बना है। चाइनीज एकेडमी आफ सोशल साइंसेज के ताजा अध्ययन के मुताबिक अगले 30 साल में चीन की आबादी में 65 साल या उससे अधिक उम्र वालों की हिस्सेदारी 30 फीसद पहुंच जाएगी।
वर्तमान जन्म दर न बदले तो...
रिपोर्ट के अनुसार यदि वर्तमान जन्म दर 1.6 बच्चे प्रति महिला में कोई बदलाव न हो तो आबादी में 2027 के बाद से ही गिरावट शुरू हो जाएगी। 2065 में यह गिरकर 1.2 अरब से भी कम हो जाएगी। चीन की यही आबादी 1990 में थी। शायद इसी चिंता के चलते चीन ने 2015 में एक बच्चा नीति को खत्म किया था।
शीर्ष पर आबादी
सीएएसएस द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ग्रीन बुक ऑफ पापुलेशन एंड लेबर के अनुसार 2029 में चीन की आबादी 1.44 अरब होगी। इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो जाएगी। 2065 में इसकी जनसंख्या गिरकर 1.2 अरब रह जाएगी, जो कि 1996 की आबादी के बराबर होगी।
कामकाजी आबादी में कमी
नानकई विश्वविद्यालय के पापुलेशन स्टडीज के प्रोफेसर युआन शिन के मुताबिक बुढ़ाती आबादी के साथ कम होती जनसंख्या के लिहाज से 15 से 59 साल की कामकाजी आबादी गिरकर 70करोड़ तक पहुंच सकती है जो अभी 89.73 करोड़ है। अगले 30 साल में कामकाजी आबादी में 22 फीसद की गिरावट आ जाएगी। हालांकि शिन का मानना है कि लोगों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से 65 करके कुछ हद तक इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इस एक कदम से कामकाजी आबादी में 10 करोड़ लोगों की वृद्धि हो सकती है।