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जानें- लिथुआनिया पर क्‍यों आगबबूला हुआ चीन, दे डाली धमकी, यूएस ने भी बढ़ाई ड्रैगन की परेशानी

लिथुआनिया में ताइवान के दूतावास खुलने के बाद चीन आगबबुला हो गया है। उसने अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। इसके अलावा उसने लिथुआनिया को धमकी तक दे डाली है। चीन का कहना है कि लिथुआनिया उसको नजरअंदाज करने की भूल न करे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 12:11 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 03:38 PM (IST)
जानें- लिथुआनिया पर क्‍यों आगबबूला हुआ चीन, दे डाली धमकी, यूएस ने भी बढ़ाई ड्रैगन की परेशानी
लिथुआनिया को चीन ने दे डाली धमकी

बीजिंग (रायटर्स)। चीन और लिथुआनिया के रिश्‍तों में तनाव आ गया है। इस तनाव की वजह बना है ताइवान। इसकी वजह से चीन ने लिथुआनिया से कूटनीतिक रिश्‍तों में कमी कर दी है। आपको बता दें कि हाल ही में ताइवान ने लिथुआनिया में अपना दूतावास खोला है। चीन ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया है। चीन का कहना है कि वो इस फैसले से बेहद असंतुष्‍ट हैं कि विलनियस ने अपने यहां पर ताइवान को दूतावास खोलने दिया। चीन का कहना है कि ताइवान उसका ही एक हिस्‍सा है और इस लिहाज से लिथुआनिया में एक देश के रूप में उसके दूतावास को खोलकर गलत काम किया है। आपको बता दें कि अमेरिका और ताइवान के मजबूत रिश्‍तों से भी चीन काफी चिढ़ता है। हालांकि ये भी एक सच्‍चाई है कि चीन हर उस राष्‍ट्र को तिरछी नजरों से देखता है जो ताइवान का समर्थन करता है।

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चीन का कहना है कि लिथुआनिया के संबंध पहले से ही चीन के साथ हैं। और चूंकि ताइवान उसका ही हिस्‍सा है, इसलिए उसके वहां पर दूतावास खोलने की कोई वजह नहीं है। ये गैर कानूनी है। लिथुआनिया से इस मुद्दे पर चिढ़े चीन ने अपने कूटनीतिक रिश्‍तों में गिरावट को लेकर दबाव भी बनाना शुरू कर दिया है। चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। बता दें कि ताइवान ने अपना दूतावास गुरुवार को ही लिथुआनिया में खोला है। यहां पर आपको ये भी बता दें कि यूरोप और अमेरिका ताइपे के नाम का इस्तेमाल करते हैं। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि लिथुआनिया ने उनकी बातों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है।

चीन का आरोप है कि लिथुआनिया ने अपने यहां पर ताइवान का दूतावास खोलकर अंतरराष्‍ट्रीय नियमों की भी अवहेलना की है। चीन ने एक बार फिर से कहा है कि ताइवान उसकी ही मेन लैंड का हिस्‍सा है और इस नाते किसी को भी उसके आंतरिक मामलों में दखल नहीं देनी चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से यहां कि कहा गया है कि उसके पास अपनी भूल सुधार का अब भी मौका है। वो चीन को नजरअंदाज करने की भूल न करे। चीन अपनी रक्षा और संप्रभुता के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इस बात से काई फर्क नहीं पड़ता है कि ताइवान क्‍या करेगा। कोई भी इस बात को झुठला नहीं सकता है कि ताइवान चीन का हिस्‍सा है।

चीन के इस बयान पर ताइवान ने भी जबरदस्‍त हमला बोला है। ताइवान का कहना है कि वो एक आजाद राष्‍ट्र है जिसको रिपब्लिक आफ चाइना कहा जाता है। यही उसका आधिकारिक नाम है। इस नाते चीन को कोई हक नहीं बनता है कि वो उसके बाबत कुछ कहे। लिथुआनिया के समर्थन में अमेरिका के उतरने से भी चीन काफी नाराज है। अमेरिका और लिथुआनिया के बीच में करोड़ों डालर का एक समझौता भी हुआ है।


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