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अपने पहले मंगल मिशन के लिए चीन ने किया लैंडिंग परीक्षण, 2020 में शुरू करेगा अभियान

Mars mission of china चीन ने अपने पहले मंगल मिशन के लिए उत्तरी हेबेई प्रांत में सफलतापूर्वक लैंडिंग परीक्षण किया। चीन का यह अभियान 2020 में शुरू होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 08:50 AM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 04:39 PM (IST)
अपने पहले मंगल मिशन के लिए चीन ने किया लैंडिंग परीक्षण, 2020 में शुरू करेगा अभियान
अपने पहले मंगल मिशन के लिए चीन ने किया लैंडिंग परीक्षण, 2020 में शुरू करेगा अभियान

हुएलाई, रायटर। अंतरिक्ष में भारत के साथ होड़ ले रहा चीन मंगल मिशन को लेकर गंभीर है। चीन ने गुरुवार को अपने अनाम मंगल मिशन के लिए उत्तरी हेबेई प्रांत में सफलतापूर्वक लैंडिंग परीक्षण किया। चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के प्रमुख जैंग केजान ने परीक्षण से पहले विदेशी राजनयिकों और मीडिया से बातचीत में कहा कि चीन मंगल मिशन को लेकर सही दिशा में हैं।

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- 2016 में चीन ने औपचारिक रूप से अपने मंगल मिशन पर काम करना शुरू कर दिया था।

- 2020 में होगा चीन का यह अभियान, मंगल तक पहुंचने में सात महीने का वक्त लगेगा।

- 2022 तक वह अपना मानव आधारित अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने में कामयाब होगा। 

हुएलाई में किया परीक्षण 

मंगल पर उतरने वाले लैंडर को बीजिंग के उत्तर पश्चिम में हुएलाई स्थान पर परिभ्रमण और बाधा दूर करने के परीक्षण से गुजारा गया। यह स्थान मंगल की असमान सतह जैसा है जिस पर चट्टानों के छोटे टीले हैं। जैंग के मुताबिक 2016 में चीन ने औपचारिक रूप से मंगल मिशन को लेकर काम शुरू किया था। मंगल लैंडर के लिए परिभ्रमण और बाधा दूर करने का परीक्षण काफी मुश्किल हिस्सा होता है और यह विकास का अहम हिस्सा है।

मार्च-5 रॉकेट विकसित किया

चीन ने लांग मार्च-5 रॉकेट विकसित किया है जो सात महीने की यात्र के बाद लैंडर को मंगल पर पहुंचाएगा। मंगल मिशन के मुख्य वास्तुकार के जैंग रोंग्कियाओ के मुताबिक मंगल तक पहुंचने में सात महीने, जबकि लैंडिंग में सात मिनट का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि लैंडिंग सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण चरण है।

अभी भी अमेरिका से पीछे

इस साल की शुरुआत में चीन का रोवर चंद्रमा पर उतरा था, जिसने सॉफ्ट लैंडिंग की थी। अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चीन करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। बीजिंग को उम्मीद है कि वह 2022 तक अपना मानव आधारित अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने में कामयाब होगा। अपने नागरिक और सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए रूस और जापान से ज्यादा खर्च कर रहा है। हालांकि अभी भी वह अमेरिका से पीछे है। 


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