एशिया में अमेरिकी प्रभाव को चुनौती दे रहा चीन,चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद दबदबा बढ़ा
चिनफिंग ऐसे कई कदम उठा रहे हैं जिससे चीन को बड़ी ताकत बनाया जा सके। इसी कड़ी में उनकी महत्वाकांक्षी परियोजना रोड एंड बेल्ट इनिशिएटिव है।
हांगकांग, रायटर। एशिया में अमेरिका के निर्विवाद प्रभाव को चीन से खतरा पैदा हो गया है। वह तेजी से अपनी ताकत बढ़ा रहा है और क्षेत्र में अमेरिका की जगह ले रहा है। शी चिनफिंग के सत्ता में आने के बाद चीन के इस रुख में तेजी आई है।
एशिया में अपनी धाक जमाने की कवायद में जुटे चीन की इस मंशा को चिनफिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद धार मिली। वह चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर इन चीफ भी हैं। उन्होंने पीएलए को आधुनिक बनाने के साथ ही इसके नौसेना ताकत बनने की मुहिम भी तेज कर दी है। करीब 20 लाख सैनिकों वाली पीएलए पारंपरिक तौर पर थल ताकत मानी जाती है।
चिनफिंग ने माओ दौर की नौकरशाही व्यवस्था भी खत्म कर दी है। उन्होंने एक ऐसी नई व्यवस्था बनाई है जो सीधे उनके आदेश पर संचालित होती है। वह केंद्रीय सैन्य आयोग के चेयरमैन भी हैं। यह निर्णय लेने वाली चीन की सर्वोच्च संस्था है। नौसेना, मिसाइल, वायु, थल और साइबर बलों के संचालन नेतृत्व को प्रशासन और प्रशिक्षण से अलग कर दिया गया है। इस संरचना पर चीनी और पश्चिमी विश्लेषकों का कहना है कि यह अमेरिकी सैन्य संगठनों का अनुसरण है। इन कवायदों से यह साफ है कि चिनफिंग एशिया में अमेरिकी प्रभाव के दौर को खत्म करना चाहते हैं।
कई कदम उठा रहे चिनफिंग
चिनफिंग ऐसे कई कदम उठा रहे हैं जिससे चीन को बड़ी ताकत बनाया जा सके। इसी कड़ी में उनकी महत्वाकांक्षी परियोजना रोड एंड बेल्ट इनिशिएटिव है। इसका मकसद वैश्विक कारोबार के लिए एक ढांचागत नेटवर्क तैयार करना है। इसके केंद्र में चीन है। चीन की इस परियोजना को अमेरिका दुनिया के देशों के लिए खतरा बता चुका है।
अमेरिकी समिति कर चुकी है आगाह
अमेरिकी नौसेना के सेवानिवृत्त एडमिरल गैरी रफहेड की अगुआई वाली एक समिति ने ट्रंप प्रशासन की रक्षा रणनीति की समीक्षा करने के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'अमेरिकी सेना की श्रेष्ठता अब सुनिश्चित नहीं रह गई है।' गत वर्ष नवंबर में प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट में अमेरिका को चीनी और रूसी सेना की बढ़ती ताकत को लेकर आगाह किया गया था।