जब ब्रिटेन ने हांगकांग के 30 लाख लोगों को दी नागरिकता की पेशकश तो चीन ने दिखाई आंखें
चीन के हांगकांग के लोगों पर नया कानून लागू किए जाने के बाद ब्रिटेन ने वहां के 30 लाख लोगों को नागरिकता देने की पेशकश की है। इस पर चीन ने ब्रिटेन को आंखें दिखाई है।
नई दिल्ली, रॉयटर्स। हांगकांग में चीन का नया कानून लागू होने के बाद वहां विरोध प्रदर्शन और भी बढ़ गए हैं। वैसे हांगकांग के लोग इससे पहले से चीन के कानून का विरोध प्रदर्शन कर रहे थे मगर कोरोनावायरस संक्रमण फैलने के बाद विरोध शांत हो गया। इस बीच सभी अपने घरों में लॉकडाउन हो गए।
अब जब लॉकडाउन हटा तो सरकार ने फिर से वहां पर इस कानून को लागू कर दिया। कानून लागू कर दिए जाने के बाद से हांगकांग में विरोध प्रदर्शन और भी बढ़ गया है। अब जब दुनिया के बाकी देशों के हांगकांग के लोगों पर हो रहे अत्याचार का पता चला तो उनकी ओर से भी प्रतिक्रियाएं दी गई।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने तो हांगकांग के 30 लाख लोगों को अपने देश की नागरिकता देने की पेशकश कर दी। ब्रिटेन के इस तरह के प्रस्ताव के बाद चीन भड़क गया। नागरिकता की पेशकश पर चीन ने ब्रिटेन को धमकी देते हुए कहा है कि वह भी इस तरह के कदम उठा सकता है। लंदन में चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा है कि हांगकांग में रहने वाले सभी देशवासी चीनी नागरिक हैं।
दूतावास के बयान के अनुसार अगर ब्रिटिश पक्ष संबंधित नियमों में एकतरफा तौर पर बदलाव करेगा तो उससे ना सिर्फ उसकी अपनी स्थिति कमजोर होंगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को परिभाषित करने वाले बुनियादी नियमों का भी उल्लंघन होगा। बयान में कहा गया कि हम इसका मजबूती से विरोध करते हैं और इसी तरह का जवाबी कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।
चीन सरकार के प्रवक्ता ने ब्रिटेन के कदम की निंदा की और कहा कि वे हांगकांग पर किए अपने वादों को निभा नहीं रहे हैं। प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर "गंभीर परिणामों" की चेतावनी तक दे डाली। चीन प्रशासित हांगकांग में तथाकथित नया सुरक्षा कानून लागू होने के बाद बीते बुधवार को पुलिस ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया।
कुछ लोगों को तो झंडे फहराने और अलगाववादी प्रतीक दिखाने के लिए गिरफ्तार भी किया गया। हांगकांग में पिछले साल बड़े पैमाने पर आजादी और लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए हैं। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने वादा किया है कि ब्रिटेन हांगकांग के उन 30 लाख लोगों को नागरिकता की पेशकश करता है जिनके पास ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट है या फिर वे इसे पाने के हकदार हैं।
आजादी को बहुत कीमती बताया
ब्रिटिश सरकार में मंत्री साइमन क्लार्क ने कहा कि हम हांगकांग के लोगों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि आजादी बहुत कीमती है और हांगकांग को छोड़ते वक्त हमने उनसे वादा किया था और उस वादे को पूरा करने के लिए जो कुछ भी संभव होगा, जो कुछ हमारी क्षमता में होगा, हम वह करेंगे। हांगकांग में 1997 तक ब्रिटिश शासन था।
23 साल पहले ब्रिटेन ने इस वादे के साथ उसे चीन को सौंपा था कि इस शहर की न्यायिक और विधायी स्वायत्तता बनी रहेगी। आलोचकों का कहना है कि चीन इस वादे को अब तोड़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने कहा है कि उनका देश हांगकांग में रहने वाले उन लोगों को वीजा देने पर विचार कर रहा है जो खुद को वहां खतरे में पाते हैं। इसके तुरंत बाद ही चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर ऑस्ट्रेलिया से चीन के आंतरिक मामलों में दखल ना देने को कहा।
इस बीच ताइवान ने अपने नागरिकों से कहा है कि जरूरी ना हो तो वे हांगकांग जाने से बचें। हांगकांग में ताइवान के अस्थायी कंसुलेट के अधिकारियों ने कहा है कि नया सुरक्षा कानून लागू होने के पहले ही दिन हांगकांग के 180 निवासियों ने उनसे पूछा है कि ताइवान में उनका कानूनी दर्जा क्या है।
बुधवार को नया कानून लागू किया गया, उसी दिन हांगकांग के चीन को सौंपे जाने की वर्षगांठ भी थी। इस दौरान होने वाले प्रदर्शन आमतौर पर शांतिपूर्ण रहे सिर्फ एक व्यक्ति को पुलिस अधिकारी पर चाकू से कथित तौर पर हमला करने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टों के अनुसार लंदन में चीनी दूतावास का बयान सामने आने के बाद चीनी राजदूत को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया है। चीन का कहना है कि उसके अंदरूनी मामलों में ब्रिटेन को दखल नहीं देना चाहिए। ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में यूरोपीय संघ से निकलने बाद चीन के रिश्ते मजबूत करने पर खासा जोर दिया है।