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चीन ने देर से दी थी कोरोना पर जानकारियां, एपी ने खोली राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग के दावों की पोल

एपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी अधिकारियों ने कोरोना के जीनोम के बारे में तब बताया जब दुनिया के कई देश वायरस की आनुवंशिकी का खुलासा कर चुके थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 07:42 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 08:29 PM (IST)
चीन ने देर से दी थी कोरोना पर जानकारियां, एपी ने खोली राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग के दावों की पोल
चीन ने देर से दी थी कोरोना पर जानकारियां, एपी ने खोली राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग के दावों की पोल

वाशिंगटन, एपी। कोरोना महामारी के बीच जैसे जैसे समय बीत रहा है चीन की संदिग्‍ध भूमिका के बारे में नए नए खुलासे हो रहे हैं। समाचार एजेंसी एपी ने खुलासा किया है कि चीन ने कोरोना के बारे में जानकारी देने में काफी देरी की। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी अधिकारियों ने कोरोना के जीनोम के बारे में तब बताया जब एक हफ्ते पहले ही दुनिया के कई देश अपनी-अपनी प्रयोगशालाओं में इस जानलेवा वायरस की आनुवंशिकी का खुलासा कर चुके थे। सनद रहे कि अमेरिका समेत दुनिया के कई देश कोरोना महामारी पर चीन को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं।

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चीन ने छिपाई जानकारी 

एपी की रिपोर्ट से विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन यानी डब्‍ल्‍यूएचओ भी कटघरे में खड़ा नजर आ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल जनवरी के महीने में विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना पर जानकारी देने में चीन की तारीफें करता रहा जबकि वास्‍तविकता यह है कि चीन ने कोरोना की जांच के लिए कौन सी क‍िट का इस्‍तेमाल किया... संक्रमितों को क्‍या दवाएं दी... यहां तक कि टीके के बारे में भी द‍ुनिया को कुछ भी नहीं बताया। एसोसिएटेड प्रेस ने यह सनसनीखेज खुलासा आंतरिक दस्तावेज, ईमेल और दर्जनों साक्षात्कारों के हवाले से किया है।

महज 15 मिनट पहले देता था जानकारी 

एपी ने चीन की पोल खोलने वाली अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डब्ल्यूएचओ खुद भी इस बात को लेकर चिंतित था कि कोरोना से दुनिया को खतरे का आकलन करने के लिए चीन उसको पर्याप्‍त सूचनाएं मुहैया नहीं करा रहा है जिससे कीमती वक्‍त बर्बाद हो रहा है। एक बैठक में डब्ल्यूएचओ के शीर्ष अधिकारी डॉ. गौडेन गालिया ने कहा था कि चीन अपने सरकारी चैनल सीसीटीवी पर सूचना प्रसारित होने से महज 15 मिनट पहले जानकारी साझा कर रहा है। महामारी की शुरुआत में हुई घटनाओं के खुलासे पर यह रिपोर्ट ऐसे वक्‍त में आई है जब चीन के साथ साथ खुद डब्ल्यूएचओ भी सवालों के घेरे में है।

चीन ने ऐसा क्‍यों किया 

यह बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दुनिया का कोई भी मुल्‍क उन आंकड़ों को बाकी देशों से साझा करने के लिए बाध्य होता है जिससे जन स्वास्थ्य पर असर पड़ता हो... लेकिन बड़ा सवाल यह कि आखिरकार चीन ने दुनिया के साथ ऐसा किया क्‍यों.. सनद रहे कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि चीन हमेशा समय पर डब्ल्यूएचओ को आंकड़े मुहैया कर रहा है लेक‍िन मौजूदा रिपोर्ट चीनी राष्‍ट्रपति के दावे की पोल खोलती है। मालूम हो कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया था कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की चीन के साथ मिलीभगत है और महामारी की से जुड़े तथ्यों को छिपा रही है। 

...तो नहीं फैलती महामारी 

रिपोर्ट कहती है कि जानकारी देने संबंधी अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू कराने का अधिकार विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के पास नहीं हैं... यानी डब्‍ल्‍यूएचओ सदस्य देशों के सहयोग पर ही पूरी तरह निर्भर है। एपी ने दस्‍तावेजों के आधार पर कहा है कि डब्ल्यूएचओ ने खुद को अंधेरे में रखा और चीन की तारीफों में कसीदे पढ़े जबकि चीन ने उसे न्यूनतम जानकारी दी। रिपोर्ट के मुताबिक, डब्‍ल्‍यूएचओ चीन की छवि सुधारने में ही जुटा रहा जबकि ज्‍यादा जानकारी मिलने पर संकट को शुरुआत में ही खत्‍म करने में मदद मिलती। डब्ल्यूएचओ के अधिकारी खुद परेशान थे कि कैसे प्रशासन को नाराज किए बिना चीन पर अधिक सूचना के लिए दबाव बनाया जाए। 

दो जनवरी को ही डिकोड कर दिया गया था कोरोना 

एसोसिएटेड प्रेस ने कहा है कि सूचनाओं पर सख्त नियंत्रण के चलते ऐसा हुआ। डब्ल्यएचओ की जनवरी में हुई कई आंतरिक बैठकों के मुताबिक, चीनी अधिकारियों ने जानलेवा कोरोना के जीनोम की जानकारी 11 जनवरी को विषाणुरोग एजेंसी की वेबसाइट पर संबंधित सूचना सार्वजनिक किए जाने के बाद दी। हालांकि, डब्ल्यूएचओ चीन की तारीफें करता रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस को दो जनवरी को ही डिकोड कर दिया गया था लेकिन विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने ग्‍लोबल इमरजेंसी 30 जनवरी को घोषित किया... वह भी तब जब महामारी के फैलने का प्रकोप 100 से 200 गुना तक बढ़ गया था।  


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