जानें, आखिर क्यों अपने ही लोगों के खिलाफ बर्बरता दिखा रहा है चीन, यूएन भी चिंतित
चीन का उइगर मुस्लिमों के प्रति रवैया किसी से छिपा नहीं है। चीन इन्हें जहां आतंकी मानता है वहीं उसे मसूद अजहर जैसे आतंकी नहीं लगते हैं। यही उसका आतंकवाद के प्रति दोगला रवैया भी है।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। चीन का आतंकवाद के प्रति दोगला रवैया भारत समेत पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा और समस्या बना हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन जहां पाकिस्तान में बैठे मसूद अजहर को आतंकी नहीं मानता है वहीं अपने यहां के उइगर मुस्लिम उसको आतंकी दिखाई देते हैं। यह बताना इसलिए बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि हाल ही में चीन ने दावा किया है कि उसने हिंसाग्रस्त शिनजियांग प्रांत में 2014 से जारी कार्रवाई के तहत अब तक करीब 13 हजार आतंकियों को गिरफ्तार किया है। इस दौरान सूबे में सक्रिय सैकड़ों आतंकी संगठनों का सफाया भी किया गया। चीन ने यह दावा ऐसे समय किया, जब इस प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार को लेकर उसकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में खूब आलोचना हो रही है।
शिनजियांग में बहुसंख्यक हैं उइगर
जिस शिनजियांग प्रांत की बात चीन कर रहा है दरअसल वहां उइगर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और चीन ने इस प्रांत को स्वायत्त घोषित कर रखा है। इस प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है। तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी एक करोड़ से ऊपर है। इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक है। यहां के इस बहुसंख्यक समुदाय को कम करने के लिन चीन की सरकार ने यहां पर हॉन समुदाय के लोगों को बसाना शुरू किया था। चीन की सरकार ने यहां के ऊंचे पदों पर भी हॉन समुदाय के लगों को बिठा रखा है। इसका नतीजा अब सामने आने लगा है। यह चीन की उस नीति को बताता है जिसके जरिए वह अपने यहां पर इस्लामी कट्टरता को रोक रहा है। इसके तहत उइगर मुस्लिमों पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं। दस लाख से ज्यादा उइगरों को हिरासत केंद्रों में रखा गया है। चीन इन हिरासत केंद्रों को व्यावसायिक शिक्षा केंद्र कहता है।
तोड़ी गई मस्जिद
इस क्षेत्र में चीन ने उइगर मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगा रखा है। 2018 में चीन की सरकार ने वहां की एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। 2014 में भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी। इसके तर्क में कहा गया था कि कानून से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। इससे पहले 2014 में शिनजियांग की सरकार ने रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों के रोजा रखने और मुस्लिम नागरिकों के दाढ़ी बढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी। चीन का यहां तक कहना है कि धार्मिक गतिविधियां देश के कानून के तहत होनी चाहिए। 2018 में ही चीन के स्वायत्त क्षेत्र निंगसिआ हुई के वुजहांग शहर में स्थित वेईझोऊ जामा मस्जिद को गिराने के लिए भी अधिकारी मौके पर पहुंचे थे। लेकिन भारी प्रदर्शन के चलते इसको फिलहाल टाल दिया गया।
चीन का श्वेत पत्र
इसको वैश्विक समुदाय के साथ एक भद्दा मजाक ही कहा जाएगा कि चीन ने सोमवार को एक श्वेत पत्र के जरिए उइगर मुस्लिमों के प्रति अपनाई जा रही नीति को सही करार दिया है। इसमें चीन ने साफ कर दिया है कि उइगर मुस्लिम बहुल शिनजियांग में आंतकी खतरों से निपटने के लिए और भी सख्त कदम उठाने की जरूरत है। श्वेत पत्र के अनुसार, साल 2014 से शिनजियांग में जारी दहशतगर्दी विरोधी कार्रवाई के दौरान 1,588 आतंकी गिरोहों को खत्म किया गया।
करीब 30 हजार लोगों को दंडित किया
चीन के मुताबिक 12,995 आतंकी गिरफ्तार किए गए और 2,052 बम बरामद हुए। इसके अलावा अवैध धार्मिक गतिविधियों में लिप्त पाए गए 30,645 लोगों को दंडित किया गया। श्वेत पत्र में यह भी बताया गया है कि साल 1990 से 30 हमलों को रोका गया और अंतिम हमला दिसंबर 2016 में हुआ था। प्रांत में हुए हमलों और ¨हसक घटनाओं में 458 लोग मारे गए और 2,540 घायल हुए थे।
यूएन की रिपोर्ट भी चिंताजनक
यहां पर सिर्फ यही बात चिंताजनक नहीं है बल्कि पिछले वर्ष अगस्त में जो संयुक्त राष्ट्र ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट जारी की थी उसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। इस रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि चीन की तरफ से इन पर निगरानी रखने के नाम पर लाखों उइगर मुस्लिमों को शिविरों में कैद कर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन 20 लाख उइगर मुसलमानों की विचारधारा बदलने में लगा हुआ है। यूएन की रिपोर्ट ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। आपको बता दें कि चीन में करीब दो करोड़ मुस्लिम आबादी है, जिसमें उइगर और हुई समुदाय भी शामिल है। उइगरों की तुलना में हुई मुस्लिमों को शांतिपूर्ण माना जाता है।
शिनजियांग कभी पूर्वी तुर्किस्तान था
आज का शिनजियांग पूर्व का पूर्वी तुकिस्तान है। 1949 में इसको एक अलग राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी गई थी। लेकिन इसी वर्ष यह चीन का हिस्सा बन गया। 1990 में जब सोवियत संघ का पतन हुआ तब इस क्षेत्र के लोगों ने भी खुद को आजाद कराने के लिए काफी प्रयास किया। उस वक्त इस आंदोलन को मध्य एशिया में कई मुस्लिम देशों ने भी समर्थन दिया था। चीन द्वारा हमेशा से ये कहा जाता रहा है कि इस प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम चीन से अलग होने की मांग के तहत 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' चला रहे हैं। अमेरिका ने 'ईस्ट तुर्किस्ताना इस्लामिक मूवमेंट' को उइगरों का एक अलगाववादी समूह कहा है। लेकिन वह ये भी मानता है कि यह संगठन आतंकी घटनाओं को अंजाम नहीं दे सकता है।
उइगर मुस्लिमों के सबसे बड़े नेता
उइगर मुस्लिमों के बड़े नेता डोल्कन इसा हैं जो जर्मनी में रहते हैं। वह म्यूनिख स्थित वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (डब्लूयूसी) की एग्जीक्यूटिव कमेटी के चेयरमैन भी हैं। वह 2014 से चीन की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ इंटरपोल ने रेडकॉर्नर नोटिस भी जारी कर रखा है। उनके ऊपर शिनजियांग प्रांत में हिंसा फैलाने का आरोप है।
शिनजियांग में हिंसा का इतिहास
- 2008 में शिनजियांग की राजधानी उरुमची में हुई हिंसा में 200 लोग मारे गए जिनमें अधिकांश हान चीनी थे।
- 2009 में उरुमची में ही हुए दंगों में 156 उइगर मुस्लिम मारे गए थे। तुर्की ने इसको एक बड़ा नरसंहार करार दिया था।
- 2010 में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ हुई हिंसा।
- 2012 में विमान हाइजैक करने के आरोप में छह उइगर गिरफ्तार किए गए। यह विमान हाटन से उरुमची जा रहा था।
- 2013 में प्रदर्शन कर रहे उइगर मुस्लिमों पर पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई।
- 2016 में बीजिंग में एक कार बम धमाके में पांच लोग मारे गए जिसका आरोप उइगर मुस्लिमों पर लगा था।
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