आखिर जैक कैसे बन गए चीन के सबसे अमीर शख्स, रोचक है इस 'अलीबाबा' की कहानी
जैक ने अपने करियर की शुरुआत एक टूरिस्ट गाइड के रूप में शुरू की। इसके बाद उन्हाेंने एक अनुवाद कंपनी की शुरुआत की। इसके लिए वह अमेरिका गए।
नई दिल्ली [जागरण्ा स्पेशल]। चीन की ई-कॉमर्स कंपनी 'अलीबाबा' के सहसंस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष जैक मा का कहना है कि वह सोमवार को रिटायर हो जाएंगे। रिटायर होने के बाद जैक शिक्षा व मानव सेवा कार्यों से जुड़े रहेंगे। जैक मा की सफलता की कहानी काफी दिलचस्प है। जैक खानदानी अमीर नहीं थे। उन्होंने जो भी हासिल किया उसके पीछे अथक परिश्रम और लगन थी। एक आम आदमी से अमीर बनने तक का उनका सफर किसी के लिए प्रेरणादायी हो सकता है। आखिर कौन हैं ये जैक मा। चीन के आम आदमी से कैसे वह इस देश के सबसे अमीर शख्स बन गए। आइए जानते हैं उनकी विफलता और सफलता की कहानी।
अपार्टमेंट में हुई अलीबाबा की स्थापना
जैक ने 17 लोगों के साथ मिलकर 1999 में चीन में झेजियांग के हांगझू में अपने अपार्टमेंट में अलीबाबा की स्थापना की थी। उस वक्त इस कंपनी में मात्र 18 लोग काम करते थे। लेकिन अब विश्वभर में 22 हजार से अधिक लोग इस कंपनी से जुड़े हैं। इतना ही नहीं इंटरनेट से होने वाले कारोबार के एक बड़े हिस्से में अलीबाबा का दबदबा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन में होने वाले ऑनलाइन कारोबार के 80 फीसद हिस्से पर अलीबाबा का कब्जा है।
बचपन में अंग्रेजी सीखने की ललक
चीन के लोगों की अंग्रेजी में कोई दिलचस्पी नहीं होती है, एेसे में किशोर जैक की अंग्रेजी सीखने की ललक अचरज में डालती है। जैक को बचपन से ही अंग्रेजी भाषा सीखने का बड़ा शौक था। बाल्यावस्था में उन्होंने अंग्रेजी सीखना शुरू किया। खास बात यह है कि अंग्रेजी सीखने के लिए उन्होंने किसी शिक्षक की मदद नहीं ली। अंग्रेजी के बल पर वे टूरिस्ट गाइड बन गए थे और पर्यटकों को घुमाने के दौरान वे अंग्रेजी में बोलते थे। जैक ने टूरिस्ट गाइड का काम करीब नौ वर्षों तक किया।
टूरिस्ट गाइड से अलीबाबा तक का सफर
जैक ने अपने करियर की शुरुआत एक टूरिस्ट गाइड के रूप में की। इसके बाद उन्हाेंने एक अनुवाद कंपनी की शुरुआत की। इसके लिए वह अमेरिका गए। इंटरनेट की प्रेरणा उनको अमेरिका से ही मिली। यहां उन्होंने इंटरनेट देखा। जैक ने सबसे पहले चाइना पेजस नाम की इंटरनेट कंपनी खोली। कंपनी को शुरू करने के लिए जैक के पास पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी बहन से पैसे उधार लिए और कंपनी खोली। लेकिन यह कंपनी सफल नहीं रही।
नहीं मिली थी नौकरी
इसके बाद उन्होंने चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री में भी काम किया और कुछ दिनों के बाद नौकरी छोड़ दी। इस असफलता के बाद वे अपने घर हैंग्जू चले गए और वहीं अलीबाबा की शुरुआत की। फिलहाल उनकी निजी संपत्ति की कीमत करीब 1,30,800 करोड़ रुपये है। यह भी कहा जाता है कि चीन के सबसे अमीर इस शख्स ने एक वक्त ऐसा भी गुजरा जब उन्हें केएफसी ने नौकरी देने से मना कर दिया था।
190 कंपनियों से जुड़ी है अलीबाबा
आज दुनिया में अलीबाबा एक जानी पहचानी कंपनी बन चुकी है। अलीबाबा कंपनी की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे अमेरिका का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ बताया जा रहा है। अभी की हकीकत यह है कि alibaba.com के नाम से मशहूर यह कंपनी दुनिया भर के 190 कंपनियों से जुड़ी हुई है। alibaba.com वेबसाइट के अलावा taobao.com चलाती है जो चीन की सबसे बड़ी शॉपिंग वेबसाइट है। इसके अलावा चीन की बड़ी जनसंख्या को इनकी वेबसाइट tmall.com ब्रांडेड चीजें मुहैया कराती हैं।
ग्राहक और कारोबारियों के साथ लिंक करने का धंधा
अलीबाबा की ज़्यादातर आमदनी विभिन्न वेबसाइटों पर मिलने वाले विज्ञापनों से होती है। चूंकि कंपनी ग्राहकों को कारोबारियों से जोड़ती है, तो उसके लिए थोड़ा सा कमीशन भी लेती है। ऐसे में इस सिस्टम को काम करने के लिए किसी बड़े तामझाम या इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होती है। अमेरीकी नियामकों के अनुसार 27.9 करोड़ सक्रीय ख़रीददार और 85 लाख सक्रिय विक्रेता हर साल अलीबाबा की ऑनलाइन सेवाएं लेते हैं। इस तरह सालाना 14.5 अरब ऑर्डर दिए जाते हैं। ऐसे में ये समझना मुश्किल नहीं है कि विज्ञापन देने वालों के लिए अलीबाबा की वेबसाइटें इतनी आकर्षक क्यों हैं।