कनाडा में धोखाधड़ी के शिकार हुए हजारों भारतीय छात्र, लाखों डालर की फीस लेने के बाद दिवालिया हुए तीन कालेज
दिवालिया होने के बाद कनाडा के मांट्रियल स्थित तीन कालेजों पर ताले लटक गए। इसके साथ ही इन कालेजों में लाखों डालर की फीस चुकाने वाले भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। छात्रों ने कनाडा सरकार से मामले में दखल देकर न्याय दिलाने की मांग की है।
टोरंटो, आइएएनएस: दिवालिया घोषित होने के बाद कनाडा के मांट्रियल स्थित तीन कालेजों पर ताले लटक गए हैं। इसके साथ ही इन कालेजों में लाखों डालर की फीस चुकाने वाले भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। छात्रों ने कनाडा सरकार से मामले में दखल देकर न्याय दिलाने की मांग की है। सीसीएसक्यू कालेज, एम. कालेज व सीडीई कालेज के छात्रों का कहना है कि इस धोखाधड़ी के बाद उन्हें दूसरे शहरों में अपने मित्रों व रिश्तेदारों के यहां रहना पड़ रहा है। अपनी दुर्दशा को सबके सामने लाने के लिए छात्र रैलियां कर रहे हैं।
टोरंटो के उपनगरीय ब्रंपटन में बुधवार को एक रैली में नारेबाजी कर रहे छात्रों के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। वे कनाडा सरकार से मामले में दखल की मांग कर रहे हैं, ताकि उन्हें दूसरे कालेजों से अपनी डिग्री पूरी करने की इजाजत मिल सके। कई छात्रों का कहना है कि उनके पैसे समाप्त हो चुके हैं और वे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए तय नियम के अनुसार हफ्ते में 20 घंटे से ज्यादा काम नहीं कर सकते।
पंजाब के लोंगोवाल निवासी मनप्रीत कौर बताती हैं कि उन्होंने एम. कालेज को 14 हजार डालर (करीब साढ़े दस लाख रुपये) की फीस अदा की है। वह कहती हैं, 'जब मैं नौ अक्टूबर को कनाडा पहुंची, तब मुझे बताया गया कि कालेज में दाखिले अभी कम हो पाए हैं इसलिए कक्षाएं जनवरी से शुरू होंगी। लेकिन, छह जनवरी को छात्रों को एक ई-मेल मिली कि कालेज दिवालिया घोषित हो चुका है। यह सरासर धोखाधड़ी है।' सीसीएसक्यू कालेज में 24 हजार डालर की फीस अदा कर चुके हरियाणा के करनाल निवासी विशाल राणा कहते हैं, '16 महीने के कोर्स में सिर्फ चार महीने बचे हैं। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि कहां जाऊं, क्या करूं।'
पेहवा निवासी हरिद्वार सिंह व मोगा निवासी गुरकमलदीप सिंह की भी यही स्थिति है। उनका कहना है कि उन्हें कोर्स पूरा होने का प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए, ताकि वे दूसरे कालेजों में दाखिले ले सकें और वर्क परमिट के लिए आवेदन कर सकें। धोखा खाने वाले 700 से ज्यादा वे विद्यार्थी भी शामिल हैं, जो फिलहाल भारत में रहते हुए आनलाइन कक्षाएं ले रहे थे।