पाकिस्तानी जुल्म के कारण अपनी कुर्बानी दे रहे हैं बलूचिस्तान के लोग, संयुक्त राष्ट्र समेत कोई नहीं सुन रहा बलूचों की आवाज
वर्ल्ड बलूच वुमेन्स फोरम की अध्यक्ष प्रोफेसर नीला कादरी ने कहा कि पाकिस्तान और चीन की वामपंथी सरकार हमारे बच्चों-बच्चियों को कुर्बानी देने के लिए विवश कर रही है। कोई राजनीतिक मंच नहीं बचा और संयुक्त राष्ट्र भी बलूचों की आवाज सुन नहीं रहा।
टोरंटो, एएनआइ। कराची विश्वविद्यालय में 30 वर्षीय बलूच महिला शिक्षक द्वारा खुद को उड़ाने की हालिया घटना से व्यथित एक बलूच महिला कार्यकर्ता ने इस घटना को बलूचिस्तान प्रांत में पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों और नरसंहार का परिणाम बताया है। इस आत्मघाती हमले में तीन चीनी सहित चार लोगों की मौत हो गई थी।
कनाडा में वर्ल्ड बलूच वुमेन्स फोरम की अध्यक्ष प्रो. नीला कादरी बलूच ने कहा कि दो साल पहले बलूच लिबरेशन आर्मी में शामिल हुई महिला शिक्षक शैरी बलूच अच्छे खानदान से थी, पढ़े-लिखे परिवार से थी और दो सुंदर बच्चों की मां थी। वह अगर इस तरह अपने आप का बलिदान दे सकती है तो दुनिया समझ सकती है कि यहां लोग किस स्थिति से गुजर रहे हैं और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
बलूचों का पाकिस्तान में नहीं है कोई भविष्य
कादरी ने कहा कि पाकिस्तान और चीन की वामपंथी सरकार हमारे बच्चों-बच्चियों को कुर्बानी देने के लिए विवश कर रही है। कोई राजनीतिक मंच नहीं बचा और संयुक्त राष्ट्र भी बलूचों की आवाज सुन नहीं रहा। लोग पाकिस्तान और चीन के करोड़ों डालर की वन बेल्ट वन रोड परियोजना से मुक्ति चाहते हैं। लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो पाकिस्तानी सेना उनको मौत के घाट उतार रही है। उन्होंने कहा कि बलूचों का पाकिस्तान में कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने अपनी कुर्बानी देने का फैसला किया है, इसलिए वे मजीद ब्रिगेड और बलूच लिबरेशन आर्मी जैसे संगठनों में शामिल हो रहे हैं।
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने आयोग के गठन की घोषणा की
उधर इस्लामाबाद से मिली खबर के मुताबिक, इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को कायदे आजम विश्वविद्यालय (क्यूएयू) के बलूच छात्रों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक अलग आयोग के गठन की घोषणा की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह घोषणा की। आयोग की अध्यक्षता सीनेट चेयरमैन सादिक संजरानी करेंगे।