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भारत के लिए नामित राजदूत एरिक माइकल गार्सेटी बोले- भारत-अमेरिका का बढ़ता रक्षा कारोबार संबंधों की सफलता का नतीजा

मेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से भारत के अगले राजदूत के रूप में नामित एरिक माइकल गार्सेटी का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता रक्षा व्यापार द्विपक्षीय संबंधों की सफलता का नतीजा है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 15 Dec 2021 10:02 PM (IST)Updated: Wed, 15 Dec 2021 10:06 PM (IST)
भारत के लिए नामित राजदूत एरिक माइकल गार्सेटी बोले- भारत-अमेरिका का बढ़ता रक्षा कारोबार संबंधों की सफलता का नतीजा
एरिक माइकल गार्सेटी ने कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ता रक्षा व्यापार द्विपक्षीय संबंधों की सफलता का नतीजा है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से भारत के अगले राजदूत के रूप में नामित एरिक माइकल गार्सेटी ने कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ता रक्षा व्यापार द्विपक्षीय संबंधों की सफलता का नतीजा है। गार्सेटी ने अमेरिकी सांसदों को आश्वास्त किया कि वह अपने देश के कानून का समर्थन करेंगे और काटसा पर फैसले के अनुरूप काम करेंगे।

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अमेरिकी राजदूत के रूप में पुष्टि के लिए सुनवाई के दौरान 50 वर्षीय गार्सेटी ने काउंटरिंग अमेरिकाज एडवाइजरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (काटसा) से संबंधी सवाल पर कहा, 'मैं सचिव के प्रतिबंध या छूट के निर्णय को लेकर पूर्वाग्रही नहीं हूं और इसे चेयरमैन, रैकिंग मेंबर व सीनेट की विदेश मामलों समिति के सदस्यों के सामने स्पष्ट कर देना चाहता हूं। मैं देश के कानून का पूरा समर्थन करूंगा और काटसा के अनुपालन अथवा उससे छूट के प्रविधान को लागू करूंगा।' बाइडन के विश्वस्त गार्सेट फिलहाल लास एंजिलिस के मेयर हैं।

काटसा अमेरिका एक सख्त कानून है, जो प्रशासन को रूस से बड़े रक्षा उपकरण खरीदने वाले देशों के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने का अधिकार देता है। रूस द्वारा वर्ष 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किए जाने और वर्ष 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कथित दखल की प्रतिक्रिया में यह कानून अस्तित्व में आया। रूस ने भारत को अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति शुरू कर दी है। भारत ने इसकी पांच यूनिट की आपूर्ति के लिए रूस के साथ अक्टूबर 2018 में करार किया था।

गार्सेटी ने कहा, 'अगर मुझे राजदूत बनाया गया, तो मैं भारत की हथियार प्रणाली के विविधिकरण की सिफारिश करूंगा। साथ ही भारत-अमेरिकी रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने का प्रयास करूंगा। मुझे लगता है कि पिछले कुछ दशकों में शून्य से बढ़कर 20 अरब डालर की खरीद, खुफिया सूचना का आदान-प्रदान, युद्धाभ्यास व समुद्री साझेदारी दोनों देशों की सफलता की बड़ी कहानियां हैं।' भारत में मानवाधिकार के सवाल पर उन्होंने कहा कि स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर वह काम करेंगे और मुद्दों को उठाएंगे।  


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